लखनऊ, 20 अक्टूबर। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि योगी सरकार में दलितों-आदिवासियों पर हमले बढ़े हैं। यही नहीं, जन अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले राजनीतिक कार्यकर्तओं पर न सिर्फ झूठे मुकदमे लादे जा रहे हैं, बल्कि उनकी हत्या तक कर दी जा रही है। मिर्जापुर जिले की हाल की घटनाएं इसका प्रमाण हैं, जहां यह सब कुछ प्रशासन की देखरेख में हो रहा है और आरोपियों को पुरा संरक्षण दिया जा रहा है।

माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि लखनऊ में एप्पल मैनेजर विवेक तिवारी की पुलिस द्वारा बेवजह की गई हत्या की घटना भूली भी न थी कि मिर्जापुर के लालगंज क्षेत्र में वामपंथी आदिवासी कार्यकर्ता हिम्मत कोल की दो दिन पूर्व हत्या कर दी गई। उनका शव 18 अक्टूबर की सुबह मिला। कोल वनाधिकार कानून को आदिवासियों के पक्ष में लागू करने के लिए संघर्षरत थे और इसके चलते वन विभाग ने उन पर फर्जी मुकद लड़ रखे थे, इन मुकदमों में वे कई दिनों से जेल में थे। दो दिन पहले ही अदालत के आदेश से रिहा होकर क्षेत्र में वापस आये थे। उनकी हत्या कराने का आरोप वन विभाग के रेंजर भास्कर पांडेय पर है, लेकिन पुलिस ने पांडेय के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने से इनकार कर दिया।

राज्य सचिव ने कहा कि मिर्जापुर में मड़िहान के सरकारी अस्पताल (पीएचसी) में डॉक्टर और स्टाफ की लापरवाही से हाल ही में जच्चा-बच्चा की मौत हो जाने के बाद डॉक्टर ने अपना पल्लू झाड़ने के लिए जिला अस्पताल रेफर किया। इस पर न्याय की मांग के लिए माले की राज्य समिति सदस्य व खेत मजदूरों के लिए संघर्ष करने वाली जिले की दलित पृष्ठभूमि की जानी-मानी महिला नेता जीरा भारती ने अन्य महिलाओं के साथ अस्पताल के निकट शांतिपूर्ण धरना शुरू कर दिया। परिवारीजनों और आंदोलनकारियों की मांग थी कि लापरवाही से हुई मौत की रिपोर्ट दर्ज हो, मृतका के परिजनों को दस लाख रु मुआवजा दिया जाए और मड़िहान अस्पताल में महिला डॉक्टर की तैनाती हो। आंदोलनकारियों से वार्ता के लिए धरने पर जिला प्रशासन की ओर से पहुंचे तहसीलदार ने लिखित तौर पर उपरोक्त मांगें स्वीकार कीं, जिसके बाद धरना समाप्त हो गया। लेकिन बाद में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात तो दूर, न्याय की मांग के लिए शान्तिपूर्ण आंदोलन करने वाली माले नेता जीरा भारती के खिलाफ प्रशासन की ओर से तोड़फोड़ करने समेत अनर्गल व झूठे आरोपों में मुकदमा कायम कर दिया गया। ऐसा करते हुए विरोधी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को चुप कराने के लिए प्रशासनिक आतंक और अघोषित आपातकाल की स्थिति बना दी गई है।

राज्य सचिव ने कहा कि भाकपा (माले) दलितों-आदिवासियों पर बढ़ रहे हमलों के खिलाफ और न्याय की मांग के लिए 24 अक्टूबर को मड़िहान में न्याय मार्च निकालेगी।