लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ। देश के पाँच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव मध्य प्रदेश, राजस्थान , छत्तीसगढ़ , तेलंगाना व मिज़ोरम में हो रहे है पर सियासत का असल खेल तो यूपी में चल रहा है भले ही पाँच राज्यों में असली सियासी चौसर बिछी हो पर यूपी की सियासत का पारा यहाँ खेल दिखा रहा है यूपी की राजनीति में होगे कई चौंकाने वाले फेरबदल।कांग्रेस को पाँच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के परिणाम का इंतज़ार है जिस तरह कांग्रेस सोच रही है ओर उसने अपना सियासी जाल भी उसी को ध्यान में रखते हुए बुना है वैसे-वैसे ही पासे अगर पड़े तो कांग्रेस दिखाएगी गठबंधन से अलग अपनी ताक़त कांग्रेस को भरोसा है कि जैसे ही हम तीन राज्यों में सरकार बनाएँगे तो देश में कांग्रेस की हवा चल पड़ेगी उसका असर यूपी में भी देखने को मिलेगा।सपा से किनारा करने वाले और अपना झण्डा व डन्डा बनाकर एक नई पार्टी बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव से मिलकर कांग्रेस कर सकती है बड़ा उलटफेर शिवपाल सिंह यादव ने अपने वजूद की ताक़त का अंदाज़ा सपा के अडयल नेतृत्व को करा दिया है सियासी जानकारों का मानना है कि शिवपाल सिंह यादव के दोनों हाथों में मिठाई लिए है वह मोदी की भाजपा को भी अच्छे लग रहे है और कांग्रेस भी उन्हें साथ रखना चाहती है वही शुरूआती रूझानो से पाँच राज्यों के जिस परिणाम की उम्मीद की जा रही है उससे कांग्रेस भी अपनी ताक़त को ज़ोरदार तरीक़े से रखेगी।इस बात के भी क़यास लग रहे है कि कांग्रेस मध्य प्रदेश , राजस्थान व छत्तीसगढ़ राज्यों को जीतकर जब यूपी में मिशन 2019 के लिए आएगी तो वह जीत से लबरेज़ होगी ओर उसे जो आज हलके में लिया जा रहा है शायद जब लेने की स्थिति में न हो और वह सबको छोड़ शिवपाल सिंह यादव को साथ लेकर चुनाव लड़े ऐसा भी क़यास है सूत्र दावा कर रहे है कि कांग्रेस यूपी की 70 सीटों पर चुनाव लड़ाएगी ओर दस सीटों शिवपाल सिंह यादव के लिए छोड़ देगी क्योंकि जैसा पहले भी हुआ है की आमचुनाव में कांग्रेस का पक्ष मज़बूत रहता है उसी का लाभ शायद मिल जाए पूरे देश में जो हवा कांग्रेस की बनेगी वह गठबंधन पर भारी पड़ेगी ऐसा राजनीतिक पण्डित क़यास लगा रहे है।हमारे भरोसे के सूत्रों के अनुसार फरूखाबाद से वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद को कांग्रेस चुनाव नही लड़ाएगी वही सहारनपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर के नेता को लड़ाने की तैयारी कर रही है दो नामो पर विचार चल रहा है किसी एक का नाम को फ़ाइनल कर चुनाव मैदान में उतार देगी जिसके बाद सहारनपुर की सियासत में पिछले चालीस सालों से इस जनपद की सियासत में अपना दबदबा रखने वाले परिवार को काफ़ी नुक़सान होगा वैसे भी अब यह परिवार चालीस साल पहले वाला परिवार नही रहा क्योंकि इस परिवार में वर्चस्व की लडाई चल रही है जिसमें यह तय होना है कि कौन बड़ा है जब यह फ़ैसला होगा तब की तब जाने लेकिन कांग्रेस कोई ऐसी चूक नही करनी चाहती जिसका लाभ मोदी की भाजपा को मिले तो इस लिए सहारनपुर लोकसभा से कांग्रेस बड़ा नेता चुनाव लड़ेगा नाम ऐसा होगा कि सब चौक जाएँगे कि कांग्रेस ऐसा भी कर सकती है इतने बड़े चेहरे को झोंक सकती है क्योंकि वहाँ कांग्रेस से जो दावेदारी कर रहा है उसकी छवि साम्प्रदायिक बन जाने की वजह से उसे नही लड़ाएगी यह हम पहले भी लिख चुके है अगर उसे चुनाव लड़ाया गया तो पूर्व की भाति मोदी की भाजपा को ध्रुवीकरण करने का मौक़ा मिलेगा जो कांग्रेस किसी सूरत में देने को तैयार नही है इस बार कांग्रेस चुनावी रण में पूरी तैयारी के साथ जाना चाहती उसी के लिए वह अपने आसपास के सभी छेद बंद करके चल रही है।