HRMF ने किया "वंचित समुदाय के न्याय रास्ते में बाधाएं और पीड़ितों को न्याय दिलाने में हमारी भूमिका" विषय पर सेमिनार का आयोजन

लखनऊ। ह्यूमन राइट्स मानिटरिंग फोरम के तत्वावधान में "वंचित समुदाय के न्याय रास्ते में बाधाएं और पीड़ितों को न्याय दिलाने में हमारी भूमिका" विषय पर सेमिनार का आयोजन एपी सेन रोड,स्थित फोरम के कांफ्रेंस हाॅल में सम्पन्न हुआ।सेमिनार की अध्यक्षता फोरम के संयोजक अमित अम्बेडकर व संचालन फोरम विधिक सलाहकार एडवोकेट वी के त्रिपाठी ने किया।

मुख्य वक्ता के तौर पर बोलती हुई जिला विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ की सचिव व न्यायाधीश श्रीमती रीमा मल्होत्रा ने विधिक सेवा प्राधिकरण के उद्देश्यों,कार्यक्रमों के बारे विस्तृत जानकारी देते हुए ह्यूमन राइट्स मानिटरिंग फोरम द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों की प्रशंसा की।उन्होंने कहा कि पैरा लीगल वॉलेंटियर्स समाज के पीड़ित एवं वंचित वर्ग तक विधिक सेवा को पहुंचाने में अपनी भूमिका को धैर्य व समझदारी से निभा रहा है।उन्होंने पैरा लीगल वॉलेंटियर्स को सम्बोधित करते हुए कहा कि सबसे महत्वपूर्ण काम जरूरतमंद व्यक्ति की पहचान करना और सुलभ न्याय दिलाने में मदद करना है।

एडवोकेट वी के त्रिपाठी ने कहा कि धनाभाव और पर्याप्त जानकारी के अभाव में जो लोग न्याय से वंचित हो रहे है उनके लिए फोरम रोशनी का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि ह्यूमन राइट्स मानिटरिंग फोरम पूरे प्रदेश में लगातार वंचितों,पीड़ितों के बीच सक्रिय है और उनकी मदद कर रहा है।इस हेतु फोरम के पैरा लीगल वॉलेंटियर्स जरूरतमंद पीड़ितों को विधिक सुविधाएं ,निःशुल्क अधिवक्ता आदि उपलब्ध कराकर उनकी मदद कर रहे है।

सोशल एक्टिविस्ट अजय शर्मा ने कहा की गरीब आदमी के न्याय के रास्तों में बहुत से बाधाएं है जिसमें गरीबी एक मुख्य कारण। जिसके कारण वंचित समुदाय के साथ अन्याय हो रहा है।
अमित ने कहा कि आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर लोग न्याय से वंचित हों रहें है। वंचित समुदाय के मामलों में न्यायालयों को खास ख्याल रखना होगा। वादों के त्वरित निष्पादन के लिए विशेष कदम उठाने की जरूरत है। उक्त विचार कमजोर समुदाय के अधिकार पर 'वंचित समुदाय के न्याय के रास्तों में बाधाएं और पीड़ितों को न्याय दिलाने में हमारी भूमिका" विषय पर ह्यूमन राइट्स मानिटरिंग फोरम के तत्वावधान में आयोजित चर्चा में कहा।
उन्होंने ये भी कहा कि सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक रूप से कमजोर समुदाय यानी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आदिवासी, महिला, बालकों आदि के न्यायिक अधिकारों से संबंधित मामलों को चिह्नित कर इनका त्वरित निपटारा होना चाहिए।