नई दिल्ली: केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि #MeToo मामलों की जन सुनवाई के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की चार सदस्यीय समिति गठित की जाएगी. उन्होंने कहा, 'वरिष्ठ न्यायाधीश, कानूनी विशेषज्ञों वाली प्रस्तावित समिति मी टू से उत्पन्न सभी मुद्दों को देखेगी. मैं प्रत्येक शिकायत की पीड़ा और सदमा समझ सकती हूं.' उन्होंने कहा कि मै हर शिकायत के पीछे का दर्द समझ सकती हूं. काम पर यौन उत्पीड़न के मामले को जीरो टोलरेंस के साथ नीति के साथ निपटाया जाना चाहिए.
मेनका गांधी ने कहा, 'हमने न्यायधीशों का एक समूह बनाया है, जो कुछ मामलों को एक मुक्त और स्वतंत्र शैली में जाचेंगे और उन्हें सलाह देंगे कि अब यहां से कहां जाएं' महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि यौन उत्पीड़न की शिकायतों को 10-15 साल बाद भी अनुमति दी जानी चाहिए. साथ ही उन्होंने खुशी जताई कि #MeToo अभियान ने महिलाओं को उनके खिलाफ किए गए अपराधों के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित किया.
उन्होंने सोमवार को कहा, "आप हमेशा उस व्यक्ति को याद करेंगे, जिसने आपके साथ गलत किया है. यही कारण है कि हमने कानून मंत्रालय को लिखा है कि शिकायतें बिना किसी सीमा के होनी चाहिए. उन्होंने कहा, "अब आप 10-15 साल बाद शिकायत कर सकते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कितने दिन बाद मामले की शिकायत की है. अगर, आप शिकायत करने जा रहे हैं तो एवेन्यू अभी भी खुला है," मेनका गांधी ने कहा कि यौन उत्पीड़न मामले को लेकर गुस्सा कभी खत्म नहीं होता.
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