नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के एक सूचनाधिकार कार्यकर्ता ने मथुरा के जिला प्रशासन से भगवान कृष्ण के जन्म, उनके गांव, उनके द्वारा ब्रज की लीलाओं आदि के संबंध में कई जानकारियां मांगी हैं। इन्हें लेकर प्रशासन फिलहाल असमंजस में है। जिले के मुख्य जनसूचना अधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी (एडीएम) (कानून एवं व्यवस्था) रमेश चंद्र का कहना है कि जनमान्यता एवं निजी आस्था से जुड़े इन सवालों के क्या जवाब दिए जाएं इसे लेकर फिलहाल असमंजस में हैं।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जनपद के गुमा गांव निवासी आरटीआई कार्यकर्ता जैनेन्द्र कुमार गेंदले ने जनसूचना अधिकार अधिनियम – 2005 के तहत 10 रुपए का पोस्टल आॅर्डर भेजकर जिला प्रशासन से पूछा है कि विगत 3 सितम्बर को देश भर में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर अवकाश घोषित कर भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाया गया। इसलिए कृपया उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के जन्म प्रमाणपत्र की प्रमाणित प्रतिलिपि उपलब्ध कराई जाए। जिससे यह सिद्ध हो सके कि उनका जन्म उसी दिन हुआ था।’

आरटीआई आवेदनकर्ता ने यह भी पूछा है कि उन्हें बताया जाए कि क्या वे सच में भगवान थे ? और थे, तो कैसे ? उनके भगवान होने की प्रमाणिकता भी उपलब्ध कराई जाए। गेंदले ने यह भी पूछा है कि भगवान कृष्ण का गांव कौन सा था ? उन्होंने कहां-कहां लीलाएं कीं आदि-आदि। गेंदले के अजीबोगरीब सवालों से पशोपेश में पड़े एडीएम (कानून एवं व्यवस्था) रमेश चंद्र का कहना है कि जनमान्यता एवं निजी आस्था से जुड़े इन सवालों के क्या जवाब दिए जाएं, इसे लेकर फिलहाल असमंजस मे हैं।

उन्होंने कहा, ‘हिन्दू धर्म से संबंधित तमाम ग्रंथों, पुस्तकों आदि में इस प्रकार के वर्णन मौजूद हैं कि भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में तत्कालीन शौरसेन (जिसे वर्तमान में मथुरा के नाम से जाना जाता है) जनपद में हुआ था और उन्होंने यहां के राजा कंस का वध करने के पश्चात द्वारिका गमन से पूर्व पग-पग पर अनेक लीलाएं की थीं।’ इसलिए धार्मिक आस्था से जुड़े ऐसे सवालों के क्या जवाब दिए जाएं, इस पर विचार किया जा रहा है।