मुश्ताक अली अंसारी

मुझमें समाज सेवा की भावना भरने वाले जो भावना आगे बढ़कर मुझे राजनीतिक संघर्ष में ले आयी ऐसे महात्मा गांधी जी के जन्म दिवस पर सादर नमन बस मुझे डंडा टेकती तश्वीर से कुछ उलझन होती है मेरे महात्मा कमजोर नहीं थे अपने युवा काल से प्रगतिशील सच्चे धर्मनिरपेक्ष आजीवन असत्य से संघर्ष शील और महान विजेता थे इंटरमीडिएट के दौरान जी आई सी कालेज के पास गांधी जी से जिला पुस्तकालय में मुलाकात हुई औऱ सत्य के साथ समाजसेवा ध्येय बन गया चूंकि गाँधी जी की राजनीतिक उत्तराधिकारी कांग्रेस की कार्यशैली कहीं भी जनपक्षधर नहीं दिखती थी और इतना पढ़ चुका था कि कांग्रेस ने जो प्रगतिशील कदम 1947 के बाद उठाए उनमें कंम्यूनिस्ट दबाव इस्पष्ट दिखता है अखबार पुस्तकें पढ़ते पढ़ते में सीपीआई एमएल के दफ्तर पहुंच गया और उनके संघर्षों के साथ अपने विचारों को पाया वहीँ ढंग से भगत सिंह जी से परिचय हुआ और गाँधी जी पीछे छूटते चले गए गाँधी जी की जो छवि कांग्रेस सरकार ने बनाई वह एक महात्मा बाबा तक सीमित कर दी जबकि गांधी जी जनपक्षधर मानव से मानव के शोषण से मुक्ति व मानवाधिकार के लिए विराट आंदोलन कारी हैं जनविरोधी सरकारों के खिलाफ असहयोग और सत्याग्रह की शक्ति को कमजोर करने की साजिश अपनी मनमानी सत्ता चलाने के लिए किया आज जब कांग्रेस के विकल्प के रूप में भाजपा केंद्रीय सत्ता से लेकर राज्यों पर काबिज है तब भी असहयोग तो दूर सत्याग्रह पर लाठी गोली और मुकदमे नजरबंदी लागू है हमें फिर से गांधी जी के सत्याग्रही असहयोग आंदोलन को पुनर्जीवित करने की जरूरत आ गयी है।सिर्फ तस्वीरों पर माला चढ़ाना महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं होगी