नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को सार्वजनिक बैंकों के कर्ज की रकम डूबने का बचाव किया। उन्होंने कहा कि सरकार कर्ज माफी नहीं देने जा रही है और इस कवायद से लेनदारों को अपना बही—खाता साफ—सुथरा रखने में मदद मिलेगी और कराधान में दक्षता लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों ने 36,551 करोड़ रुपये के लोन या एनपीए की वसूली की है। ये वसूली मौजूदा वित्तीय वर्ष की अप्रैल—जून की तिमाही के दौरान की गई है। वहीं पूरे वित्तीय वर्ष 2017—18 में 74,562 करोड़ रुपये की वसूली की गई थी।

जेटली ने कहा,” आरबीआई के द्वारा साल 2015 और उसके बाद के सालों के संपत्ति गुणवत्ता परीक्षण में एनपीआई की ऊंची दरों का पता चला है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए मार्च 2014 में 2.26 लाख करोड़ था। जो अब मार्च 2018 में बढ़कर 8.96 लाख करोड़ हो चुका है।”

जेटली ने उन रिपोर्टों पर भी टिप्पणी की जिनमें ये कहा गया था कि देश के सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों के कर्ज के 3.16 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं जबकि रिकवरी सिर्फ 44,900 करोड़ रुपये की ही हुई है। एक फेसबुक ब्लॉग में जेटली ने कहा,”रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों द्वारा एनपीए का हिसाब—किताब बंद करने का सहारा लिया जाता है। लेकिन इससे किसी को भी कर्ज माफी नहीं मिल जाती है। अभी भी बैंकों के द्वारा पूरी तत्परता से कर्जों की वसूली की जा रही है।” उन्होंने कहा ,”तथ्य ये है कि वास्तव में अधिकांश दिवालिया कंपनियों के डिफ़ॉल्ट प्रबंधन को दिवालियापन और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत हटा दिया गया है।”

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रिपोर्ट के हवाले से सरकार पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने कहा कि नोटबंदी ने काले धन को सफेद कर दिया और 3.16 लाख करोड़ के कर्ज का लेखाजोखा बंद कर दिया गया। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा,”मोदी का भारत — आम आदमी के लिए: नोटबंदी— लाइन लगाओ और अपना पैसा बैंक में जमा करो। अपनी सारी जानकारी आधार में रखो। आप अपना खुद का पैसा इस्तेमाल नहीं कर सकते। करीबी पूंजीपतियों के लिए: नोटबंदी— अपना सारा कालाधन सफेद कर लो। आम आदमी का 3.16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दो।”