नई दिल्ली: तीन तलाक पर नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा लाए गए अध्यादेश के विरोध में केरल के मुस्लिम संगठन ने सु्प्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। खबर के मुता​बिक सुन्नी मुस्लिम उलेमा संगठन'समस्त केरल जमीयत-उल उलेमा'ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके इस संबंध में हालिया अध्यादेश को चुनौती दी है। संगठन ने वकील पी एस जुल्फीकर के जरिये दायर अपनी याचिका में कहा है कि मुस्लिम महिला (अधिकार एवं विवाह संरक्षण) अध्यादेश 2018 संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है।
याचिककर्ता का कहना है कि सरकार ने तीन तलाक अध्यादेश लाने के लिए संविधान के अनुच्छेद का दुरुपयोग किया है।

बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक बार में तीन तलाक के चलन पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्यादेश पर 19 सितंबर की रात में हस्ताक्षर करके इसे मंजूरी दे दी थी। जबकि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे 19 सितंबर की सुबह एक साथ तीन तलाक को प्रतिबंधित करने और इसे दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश को अपनी मंजूरी दी थी।

एक बार में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्‍यादेश पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की कानूनी समिति ने विचार करने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि अगले कुछ दिनों में बैठक करके इस बारे में आगे की तैयारी पर चर्चा होगी। इकॉनमिक टाइम्‍स की रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड के कुछ सदस्‍य अध्‍यादेश में ‘आपराधिक धारा’ के खिलाफ अदालत जाने के पक्ष में हैं। AIMPLB के एक सदस्‍य कासिम रसूल इलियास ने मीडिया से कहा, ”जिस तरह से इसे अपराध बनाया गया है, उससे अदालत जाने की जरूरत पैदा हो गई है। हम जल्‍द ही तय करेंगे कि यह कैसे करना है।” कासिम ने कहा, ”अध्‍यादेश की संभावना थी क्‍योंकि हमें लगा था कि सरकार राज्‍यसभा से विधेयक पास होने का इंतजार नहीं करना चाहती। यह सिर्फ मुद्दे से ध्‍यान भटकाने के लिए किया गया है।”