हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसी राव के बेटे व सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री केटी रामा राव ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव समय से पूर्व कराने के फैसले पर सवाल उठाने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आड़े हाथ लिया. रामा राव ने रविवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अगर बीजेपी समय पूर्व चुनाव करा सकते हैं तो हम क्यों नहीं. उन्होंने याद दिलाया कि बीजेपी ने 2002 में गुजरात में जल्दी चुनाव कराए थे.

रामा राव ने इंगित किया कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी 2004 में समय से पहले चुनाव कराने का फैसला लिया था. केटीआर के नाम से लोकप्रिय राव ने सवाल किया, "ऐसे में यदि टीआरएस सरकार जल्दी चुनाव कराना चाहती है, तो इसमें गलत क्या है."

उन्होंने तेलंगाना के विकास में केन्द्र के योगदान के शाह के दावों पर भी उनकी आलोचना की. उन्होंने दावा किया कि केंद्र ने राज्य को कोई विशेष सहयोग नहीं दिया है. राज्य में विकास दर 17.17 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, "राष्ट्र के विकास में तेलंगाना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और शाह को समझना चाहिए कि राजस्व एकत्र करने के लिए केन्द्र सरकार राज्यों पर आश्रित है."

राव ने बीजेपी पर तेलंगाना और आंध्रप्रदेश, दोनों राज्यों की जनता के साथ छल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे तेलुगू लोगों से वोट मांगने का कोई ‘‘नैतिक अधिकार’’ नहीं है. उन्होंने कहा कि तेलंगाना में बीजेपी के नेता चुनाव जीतने को लेकर उल्टे-पुल्टे दावे कर रहे हैं. शाह ने शनिवार को समय से पहले तेलंगाना विधानसभा भंग करने और लोगों पर चुनावी खर्च का बोझ डालने के चन्द्रशेखर राव के फैसले पर सवाल खड़ा किया था.

तेलंगाना में आसन्न विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं मिलने के कारण कई लोग जहां खुलकर अपनी अप्रसन्नता जता रहे हैं वहीं कुछ लोग पुरानी पार्टी का दामन छोड़ नए दल का दामन थाम रहे हैं. इस सभी घटनाक्रमों के कारण तेलंगाना में राजनीतिक जोड़-तोड़ में तेजी आई है. टिकट नहीं मिलने के कारण सबसे ज्यादा अप्रसन्नता टीआरएस के सदस्यों ने जताई है. पार्टी की ओर से 105 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद टिकट नहीं पाने वाले लोग खुलकर बोलने लगे हैं. तेलंगाना विधानसभा में कुल 119 सीटें हैं. राज्यपाल द्वारा पिछले सप्ताह विधानसभा भंग किये जाने के बाद टीआरएस प्रमुख और कामचलाऊ सरकार के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव ने 105 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. भंग की गई विधानसभा में वारंगल जिले से विधायक कोंडा सुरेखा ने उम्मीदवारों की पहली सूची में अपना नाम नहीं होने पर खुल कर अप्रसन्नता जताई है.