नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सहारनपुर जेल से करीब 16 महीने बाद छूटे चंद्रशेखर आजाद की एक झलक पाने के लिए छुटमलपुर स्थित उनके घर के बाहर रविवार को 500 से ज्यादा लोग जुटे थे. भीड़ में मौजूद ज्यादातर लोगों को मालूम था कि भीम आर्मी के मुखिया एक सामाजिक और राजनीतिक बदलाव लाने वाले हैं.

चंद्रशेखर ने कहा कि फिलहाल वह सामाजिक कार्यकर्ता ही बने रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा, "मैं 2019 में चुनाव नहीं लड़ूंगा. सहारनपुर में लोग मैं जो कहता हूं उसका पूरी निष्ठा से पालन करते हैं. उनके प्रति मेरी एक जिम्मेदारी भी है. मैं वह हूं जिससे लोग नेतृत्व और बदलाव की उम्मीद करते हैं. मैं किसी एक राजनीतिक दल का साथ नहीं दे सकता हूं. मुझे ईमानदार और पारदर्शी होने की जरूरत है."

वहीं अपनी जल्दी रिहाई से जुड़े सवाल पर आजाद ने कहा कि उन्हें लगता है कि बीजेपी इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश में है. उन्होंने कहा, 'मुझे बिना किसी कारण के जेल में बंद कर दिया गया. फिर मुझ पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया गया. एक साल से ज्यादा मैं जेल में रहा और मेरी रिहाई से कुछ वक्त पहले मुझे छोड़ दिया गया. अब बहुजनों को रिझाना इतना आसान नहीं होगा. यह सिर्फ एक राजनीतिक दाव है.'

वहीं मोदी सरकार को गिराने के दावों, बसपा को समर्थन और मायावती की नाराजगी से जुड़े सवाल पर चंद्रशेखर ने कहा, 'मैं किसी पार्टी का समर्थन नहीं करता हूं. मैं व्यक्ति का समर्थन करता हूं. मैं मायावती को अपनी बुआ मानता हूं और मेरी उनसे कोई दुश्मनी नहीं है.'

आजाद ने कहा कि वह मायावती से कभी भी व्यक्तिगत तौर पर नहीं मिले हैं लेकिन वह जानते हैं कि वह उनके खिलाफ कुछ नहीं बोल सकती हैं. उन्होंने कहा कि उनके आसपास के लोग नहीं चाहते हैं कि समुदाय के किसी नये व्यक्ति को मौका मिले इसलिए मायावती को बहका रहे हैं.