महिंद्रा एंड महिंद्रा (एम एंड एम) ने आज 2040 तक कार्बन न्यूट्रल कंपनी बनने की अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की। महिंद्रा ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करेगी और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अक्षय ऊर्जा का उपयोग करेगी। अवशिष्ट उत्सर्जन से कार्बन सिंक के माध्यम से निपटने का प्रयास किया जाएगा।

महिंद्रा समूह के चेयरमैन और वर्तमान में सैन फ्रांसिस्को में चल रहे ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन शिखर सम्मेलन के सह-अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए कहा कि उनका पूरा कारोबारी समूह कार्बन न्यूट्रल हो जाएगा।

यह इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहले श्री महिंद्रा ने यह प्रतिबद्धता व्यक्त की थी कि सिर्फ उनकी प्रमुख कंपनी – महिंद्रा एंड महिंद्रा 2040 तक कार्बन न्यूट्रल हो जाएगी। हालांकि शिखर सम्मेलन में अग्रणी लोगांे को सुनने के बाद उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता का दायरा बढ़ाते हुए समूचे समूह को कार्बन न्यूट्रल बनाने का एलान किया।

उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन के मसलों से निपटने में वैश्विक स्तर पर चल रही लडाई में हमें भी अपनी भूमिका निभानी है और इसीलिए हमने नया महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इस दिशा में महिंद्रा समूह 2040 तक कार्बन न्यूट्रल होने की दिशा में काम करने के लिए नवीनतम तकनीकी प्रगति और हाल ही में घोषित कार्बन प्राइस का लाभ उठाएगा।‘‘

क्लाइमेट ग्रुप के कार्यक्रम ईपी 100 पर हस्ताक्षर करके ऊर्जा उत्पादकता को दोगुनी करने के लिए महिंद्रा एंड महिंद्रा दुनिया की पहली कंपनी है। ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था, एफिशिएंट हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (एचवीएसी), मोटर और हीट रीकवरी प्रोजेक्ट्स का उपयोग करते हुए महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अपने शैड्यूल से लगभग 12 साल पहले ही ऑटोमोटिव कारोबार की ऊर्जा उत्पादकता को दोगुना कर दिया है। कृषि उपकरण व्यवसाय भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में शैड्यूल से आगे है और इस दिशा में आधे से अधिक काम किया जा चुका है।

कंपनी कार्बन न्यूट्रेलिटी के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ने के लिहाज से आवश्यक निवेश के लिए उत्सर्जित 10 डॉलर प्रति टन कार्बन मूल्य की घोषणा करने वाली पहली भारतीय कंपनी भी है। कीमत को अंतरराष्ट्रीय मानक के आधार पर सावधानीपूर्वक तय किया गया था और ऊर्जा दक्षता और नवीकरणीय ऊर्जा पर व्यापार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यकतानुसार इसका मूल्यांकन किया गया था।

कार्बन सिंक को कम करने की दिशा में कंपनी के पास 10 से अधिक वर्षों का अनुभव है। कंपनी इस अनुभव का उपयोग करते हुए अवशिष्ट उत्सर्जन से निपटने के लिए विश्व स्तर की तैयारी करती है और सर्वोत्तम स्थापित प्रोटोकॉल का पालन करती है।

महिंद्रा एंड महिंद्रा कार्बन न्यूट्रेलिटी संबंधी अपनी प्रतिबद्धता को हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के गैर लाभकारी संगठन एन्वायर्नमेंटल डिफेंस फंड (ईडीएफ) के साथ मिलकर काम कर रही है, यह संगठन कॉर्पोरेट स्थायित्व नेतृत्व के लिए बार बढ़ाने की दिशा में अग्रणी कंपनियों के साथ काम करता है। कंपनी ईडीएफ और अन्य प्रमुख भागीदारों के साथ काम करना जारी रखेगी क्योंकि यह कार्बन न्यूट्रेलिटी के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रभावी कार्रवाई करना चाहता है।

महिंद्रा एंड महिंद्रा ने विज्ञान आधारित लक्ष्यों की पहल करने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। ये ऐसे कदम हैं, जिनसे पेरिस समझौते के तहत ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लक्ष्य के साथ उत्सर्जन को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे कम करने के लिए स्पष्ट दिशा तय करता है। ये सभी प्रतिबद्धताएं कार्बन न्यूट्रेलिटी के रास्ते की तरफ बढने में कंपनी की मदद कर रही हैं।