लखनऊ: शुक्रवार को पूर्व मंत्री व विधायक शिवपाल यादव ‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ यादव चैम्बर ऑफ़ कामर्स’ द्वारा काठमांडू में आयोजित ‘भारत-नेपाल व्यापार सम्मलेन, 2018 में सम्मिलित हुए। यह आयोजन भारत और नेपाल के बीच द्विपक्षीय व्यापार और संबंधों को बेहतर बनाने के लिए उठाए जानें वाले जरूरी क़दमों के आकलन पर केंद्रित है।

श्री यादव ने सम्मलेन को पड़ोसी देश नेपाल में आयोजित करने के लिए आयोजकों को बधाई दी और कहा कि ’भारत और नेपाल केवल पड़ोसी देश नहीं हैं बल्कि इनका सदियों पुराना नाता है। यह नाता सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक व सांस्कृतिक हर क्षेत्र में दिखता है। यही नहीं नेपाल का भारत के लिए सामरिक और रणनीतिक महत्व भी है। भारत के पांच राज्यों की सीमा नेपाल से लगी है। ऐसे में नेपाल में उत्पन्न अस्थिरता भारत को प्रभावित करती है, कुल मिलाकर एक सक्षम, समर्थ व स्वावलंबी नेपाल भारत की जरूरत है। कुपोषण, बीमारी, निरक्षरता और बेरोजगारी आज भारत और नेपाल दोनों की साझा समस्या है। इन समस्याओं का उन्मूलन केवल आर्थिक विकास के माध्यम से ही संभव हो सकता है।

आगे उन्होंने कहा कि, ’मैं समझता हूं कि इस तरह के आयोजनों से न सिर्फ व्यापार और निवेश के अवसरों में वृद्धि होती है बल्कि इसके साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे उद्यमियों, व्यापारियों और न्यू स्टार्टअप प्रयोगों को वैश्विक व्यापार से जुड़ने का अवसर मिलता है। साथ ही इस तरह के आयोजन न सिर्फ यहां बैठे उद्यमी साथियों के अनुभवों को साझा करने का मंच देते हैं बल्कि उन अनुभवों से अपने जीवन में आगे बढ़ने का अवसर भी प्रदान करते हैं।

उन्होंने यदुवंशी समाज से आह्वान करते हुए कहा कि, अब वैश्वीकरण के इस दौर में अपने देश की हदों और सरहदों से आगे बढ़ने और पूरी दुनिया में पहुंचने का समय है। मैं चाहता हूं कि आप समृद्ध हों और समृद्ध नेपाल और भारत का निर्माण करें। मैं चाहूंगा कि हम दोनों मुल्कों के आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करें। अंत में काठमांडू में आयोजित यह सम्मलेन दोनों देशों के यदुवंशी समाज के आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास में मील का पत्थर साबित हो, मेरी ऐसी मंगल कामना है। आज काठमांडू में गूँज रही यदुवंशियों की शंख ध्वनि पूरे विश्व में व्याप्त हो, ऐसी ईश्वर से मेरी प्रार्थना है।

सम्मेलन में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ यादव चैम्बर ऑफ़ कामर्स के संयोजक डा0 शिवजी यादव, नेपाल के उद्योग मंत्री श्री मातृका यादव जी, भारतीय सांसद श्री लक्ष्मी नारायण यादव जी, श्री सुखराम बुद्धूगुला लिगायत, नेपाल के सांसद श्री महेन्द्र यादव, चित्रलेखा यादव जी, राजकिशोर यादव जी, सीतादेवी यादव जी, रामबाबू यादव जी एवं सुदेश यादव जी सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार रखे।