नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ कांग्रेस ने देश भर में आंदोलन का ऐलान किया है। पार्टी ने गुरुवार को सभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की बैठक बुलाई है, ताकि पेट्रोलियम पदार्थो की बढ़ती कीमतों के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा सके। इस बीच, पार्टी ने एक बार फिर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग दोहराई है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों का मुद्दा आम लोगों से जुड़ा हुआ है। इसलिए, पार्टी की कोशिश होगी कि वह समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों को साथ लेकर जनांदोलन करे। इसके लिए कांग्रेस सभी विपक्षी दलों के नेताओं से संपर्क कर रही है। इस मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई का ऐलान करने के लिए कांग्रेस दूसरे दलों के साथ राजधानी दिल्ली में बड़ी जनसभा करने की भी संभावनाएं तलाश कर रही है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि यूपीए-एक सरकार के वक्त कच्चे तेल की कीमत 145 डॉलर तक पहुंच गई थी। इसलिए, सरकार ने जून 2008 में पेट्रोल की कीमत 45 रुपये से बढ़ाकर 50.52 रुपये और डीजल की कीमत 34.76 रुपये से बढ़ाकर 37.76 रुपये कर दी थी। तब भाजपा ने इसे आर्थिक आतंकवाद करार दिया था। इसलिए, भाजपा को अब बताना चाहिए कि कच्चा तेल 70 डॉलर पर होने के बावजूद पेट्रोल की कीमत 80 रुपये तक पहुंच जाए, तो इसे कौन सा आतंकवाद करार देना चाहिए।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग करते हुए पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। चिंदबरम का कहना है कि टैक्स बहुत ज्यादा होने की वजह से पेट्रोलियम पदार्थो की कीमत बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स को कम कर दिया जाए तो इसकी कीमत घट जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र को राज्यों से टैक्स कम करने के लिए कहने के बजाए खुद कर घटाना चाहिए।