श्रेणियाँ: लेख

चाचा ने बनाया सेकुलर मोर्चा ,अखिलेश को झटका

मृत्युंजय दीक्षित

उत्तर प्रदेश में क्या विपक्षी दलों का गठबंधन बनने से पहले ही बिखरने लग गया है? महागठबंधन के सबसे बड़े दल समाजवादी पार्टी में उपेक्षित व अपने आपको अपमानित महसूस कर रहे चाचा शिवपाल यादव ने आखिरकार सेकुलर मोर्चा का गठन कर ही लिया है और समाजावदी दल के अंदर कहीं न कहीं किसी न किसी बात को लेकर नाराज व उपेक्षित चल रहे बड़े व छोटे सभी कार्यकर्ताओं को एक नया मंच प्रदान करने का सुअवसर दे दिया है। सपा मेें चाचा शिवपाल की बगावत के प्रदेश के राजनैतिक विश्लेषक कई निहितार्थ निकाल रहे है। सपा के पूर्व मुखिया मुलायम सिंह यादव भी एक कार्यक्रम में कह चुके थे कि मेरा अब पहले की तरह से सम्मान नहीं हो रहा है। उसके बाद ही चाचा शिवपाल ने भतीजे को पटखनी देते हुए सेकुलर मोर्चे का गठन करने का ऐलान कर दिया। उधर समाजवादी दल के पुराने अंकल अमर सिंह ने भी अपनी ताल ठोक दी है। उनका कहना है कि सपा के पूर्व मुखिया मुलायम सिंह यादव अपने जीते जी समाजवादी दल की शव यात्रा निकलते हुए देखेंगे। वहीं अमर सिंह ने रामपुर के समाजवादी मुस्लिम नेता आजम खान के खिलाफ जबर्दस्त ताल ठोक दी है।

अमर सिंह ने एकदम साफ ऐलान कर दिया है कि अगर वर्तमान समय में शांत हिंदू समाज जाग उठा तो आजम खान को वह रसगुल्ले की तरह खा जायेगा। अमर सिंह समाजवादियों को अब नमाजवादी कहकर संबोधित कर रहे हैं। अमर सिंह आजम खान को खुली चुनौती दे रहे हैं वह आजम के खिलाफ बेहद उग्र हैं तथा जिसके कारण आजम खान ठीक से उनकी बातों का जवाब तक नहीं दे पा रहे हैं।

अभी तक महागठबंधन के कारण कुछ नहीं अपितु काफी गंभीर चुनौती बीजेपी के लिये खड़ी होने जा रही थी। वहीं राजनैतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि शिवपाल की ओर से सेकुलर मोर्चा के गठन से निश्चय ही सपा मुखिया अखिलेश यादव को गहरा झटका लगा है। गठबंधन बनने की स्थिति मेें जिन लोगों का टिकट कटेगा उन सभी लोगों के लिये नये सेकुलर दल में जोरदार स्वागत होना तय माना जा रहा है। समाजवादी पार्टी में चाचा और भतीजे की जंग बहुत पुुरानी हो चुकी है। जब लोकसभा चुनावों की तैयारी मंे महज कुछ समय ही रह गया हे उस समय यह मोर्चा अखिलेश के लिये निश्चय ही मुसीबतों का पहाड़ लेकर आ रहा है। भाजपा भी अब पूरी ताकत के साथ प्रदेश को चुनावोें से पहले सपा और बसपा से मुक्त करने का अभियान पूरे जोर- शोर से चलाने जा रही है।

यही कारण है कि अब राजनैतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे है कि सपा में चाचा की बगावत और अमर सिंह के आजम के खिलाफ हमले मेें परोक्ष रूप से बीजेपी की सह हेै। एक सप्ताह के भीतर समाजवादी पार्टी को दो बड़े झटके लगेे हंै जिसमें सबसे पहले समाजवादी दल ने जब अपने प्रवक्ताओं की नयी टीम का ऐलान किया तब उसकी चर्चित टी वी चैनलांे की प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने साइकिल छोड़ने का ऐलान कर दिया तथा उनके साथ कुछ और

लोेगों ने पार्टी छोड़ दी। उन्होंने भी समाजवादी पार्टी के नेतृत्व पर काफी गंभीर आरोप लगाये। जिसके कारण सपा मुखिया अखिलेश यादव को कुछ झटका तो लगा ही है। वहीं अखिलेश यादव इन सब चीजों को कतई गंभीरता से नहीं ले रहे है। अखिलेश का कहना है है कि चुनावी मौसम में यह सब होता रहता है और साइकिल आगे बढ़ती जायेगी। साथ ही यह भी कहा कि इन सबके पीछे बीजेपी की साजिशें हैं। अमर सिंह को एक बार फिर सत्ता का दलाल कहा।

राजनैतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि शिवपाल का दांव समाजवादी दल और बहुजन समाजवादी पार्टी दोनों को ही कुछ न कुछ अवश्य ही नुकसान पहुंचायेगा। वहीं अपना सेकुलर मोर्चा बनाने का ऐलान करने के बाद शिवपाल यादव पूरी तरह से मोर्चे पर जुट गये हैं। अपने पहले सम्मेलन मेें ही उन्होंने लोकसभा की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है तथा यह भी ऐलान किया है कि उनका मोर्चा 2022 के विधानसभा चुनाव भी पूरी ताकत के साथ लड़ेगा। चाचा शिवपाल का दावा है कि उनके सेकुलर मोर्चे की तपिश जल्द ही यूपी की राजनीति मेें दिखलायी पड़ेगी। शिवपाल के त्रिकोण से प्रदेश का राजनैतिक गणित गड़बड़ा गया है। अब इस बात की प्रबल संभावना दिखलायी पड़ रही है कि आने वाले समय में सभी दलों में कुुछ न कुछ भगदड़ अवश्य मचेगी और यह लोग चाचा की ही शरण मेेें जाने का भरपूर प्रयास करेंगे। चाचा शिवपाल के यहां अब प्रथम आगत प्रथम स्वागत की शुरूआत होने जा रही है । चाचा शिवपाल अपने मोर्चे की ताकत के दम पर सपा मुखिया अखिलेश यादव के सपने को ध्वस्त कर सकने की क्षमता रखते है। चाचा शिवपाल समाजवादी दल में काफी समय से रहे है तथा उनकी संगठन पर पकड़ काफी मजबूत है। सरकार व संगठन में कई बड़े फैसले करवाने व उनको बदलवाने की क्षमता रखते थे। चाचा शिवपाल की मुख्तार अंसारी व अतीक अहमद जैसे लोगों से अच्छी पटरी बैठती थी।

माना जा रहा है कि अखिलेश की मर्जी को दरकिनार करते हुए सपा में मुख्तार अंसारी का प्रवेश कराने के पीछे इन्हीं का हाथ था। अब मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में उनका साथ निभा सकते हैं। सपा के प्रभाव वाले कई क्षेत्रों जैसे इटावा ,मैनपुरी कन्नौेज, एटा, फर्रूखाबाद जेैसे जिलोें में अच्छी पकड़ है। यदि इन जिलों में वह अपने उम्मीदवार पूरी ताकत के उतारते है । तब समाजवादी साइकिल के तार टूट सकते हैं। चाचा शिवपाल की यादव बिरादरी में भी अच्छी पकड़ है। लाख सपा विरोधी लहर के बाद भी वह अपनी सीट नहंी हारते हैं।
चाचा शिवपाल का सेकुलर मोर्चे बनाने के निर्णय से बीजेपी को भी काफी राहत मिलने की संभावना दिखलायी पड़ रही है। माना जा रहा है कि 2014 से लेकर 2017 के बीच समाजवादी परिवार में जिस प्रकार से कलह मची थी तथा सोची समझी रणनीति के तहत सपा की कलह का टी वी चैनलों में प्रसारण तक हुआ था उसी का परिणाम रहा है कि 2017 में बीजेपी की लहर चली और सपा का किला ध्वस्त हो गया।
अब अगर उन्हीं दिनों के हिसाब से देखा जाये तो समाजवादी कुनबे मंे वही दरार एक बार फिर दिखलायी पडने लग गयी है तथा अनुमान है कि इससे एक बार फिर बीजेपी को लाभ हो सकता है। यह माना जा रहा है कि चाचा शिवपाल ने यह दांव मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के साथ दो दौर की लम्बी बातचीत के बाद लिया है यही कारण है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ताजा घटनाक्रम को भाजपा की साजिश बता रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने सपा -बसपा में सेंध लगाने की कवायद तेज कर दी है तथा अपने सभी सांसदों और विधायका,ेें जिला अध्यक्षों से सपा- बसपा के बूथस्तर के कार्यकर्ताओं को बीजेपी में शामिल कराने का संकल्प दिलवाया है अर्थात बीजेपी का अब लक्ष्य है कि 2019 तक प्रदेश में सपा और बसपा बूथस्तर के कार्यकर्ताओ से भी मुक्त होे जाये। एक प्रकार से सभी बड़े नेताआंे से लेकर संासदों , विधायकों व छोटे स्तर के कार्यकर्ताओं को बीजेपी मंे शामिल करवाने का रोडमैप तैयार हो चुका है ।

इधर चाचा शिवपाल भी सेकुलर मोर्च के माध्यम से सपा -बसपा मेेें बड़ी बगावत कराने की तैयारी कर ली है। चाचा शिवपाल ने अपने भतीजे अखिलेश यादव की तैयारियों में ग्रहण तो लगा ही दिया है। अब यहां पर बुरे काम का बुरा नतीजा हो भाई चाचा- हो भतीजा कब सत्य में बदलती है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। चाचा शिवपाल के उम्मीदवारोेें के मैदान में आने से कई सारे समीकरण बनेंगे तथा बिगडेंगे। चाचा के सेकुलर मोर्चे का वोटबैंक वही हैं जो महाबठबंधन मेें शामिल दलांे का है। बसपा और कांग्रेस के लिये भी कठिन समय आ गया है। पहले से ही विभिन्न समस्याओं से जू्रझ रही मायावती और कांग्रेस के लिये भी यह गजब का झटका है अब इन दलों को अपने उम्मीदवारो के चयन में और भी अधिक भारी समस्या आने वाली है। जिसको टिकट नहीं मिला उसके लिये सभी विकल्प खुल गये हैं। सबसे बड़ी बात यह हो रही है कि अभी तक जो मुस्लिम मत एकतरफा सपा और बसपा को मिलने जा रहे थे उनमें भी कुछ विभाजन हो सकता है। यदि सेकुलर मोर्चो मुसिलम मतांे का विभाजन करवाने में सफल हो गया तो तब सभी सीटों का गणित व इतिहास बदल जागेया औेर बीजेपी की राहंे आसान भी हो सकती हैं।

Share

हाल की खबर

समाजवादी शहजादे ने एक नई बुआ की शरण ली है, बाराबंकी में PM मोदी ने अखिलेश पर कसा तंज

ब्यूरो चीफ फहीम सिद्दीकी बाराबंकी:यूपी के बाराबंकी लोकसभा सीट व मोहनलालगंज लोकसभा सीट पर चुनाव…

मई 17, 2024

पिपरसंड ग्रामपंचायत में शुरू होने के लिये तैयार डिजिटल डॉक्टर क्लीनिक

लखनऊ।उत्तर प्रदेश सरकार के साथ निवेश को लेकर हुये एमओयू के बाद राज्य के ग्रामीणों…

मई 17, 2024

स्वाती मालीवाल के साथ दुर्व्यवहार निंदनीय- दारापुरी

आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाती मालीवाल के साथ दिनांक…

मई 17, 2024

राबर्ट्सगंज सीट पर भाजपा के विरुद्ध जनता लड़ रही है चुनाव

दुद्धी, सोनभद्र:देश की आर्थिक संप्रभुता को क्षति पहुंचाने, समाज के मैत्री भाव को नष्ट करने…

मई 16, 2024

बाराबंकी में राहुल गाँधी 18 मई को तनुज पुनिया के लिए मांगेंगे वोट

ब्यूरो चीफ फहीम सिद्दीकी बाराबंकी में सियासत कभी देवाँ में जो रब है वही राम…

मई 16, 2024

बाराबंकी में ऑक्सीजन फैक्ट्री में ब्लास्ट 1 कर्मचारी की मौत

ब्यूरो चीफ फहीम सिद्दीकी बाराबंकी । ऑक्सीजन प्लांट में ब्लास्ट हो गया। जिसमें की एक…

मई 13, 2024