नई दिल्ली: डीएमके का अध्यक्ष बनते ही एमके स्टालिन मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते दिखे. स्टालिन ने मंगलवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कि केंद्र सरकार ने सारी संस्थाओं को नष्ट कर दिया है और हमें इनकों सबक सिखाना होगा.

डीएमके की आम बैठक में ताजपोशी के बाद स्टालिन ने कहा, 'आज देश की स्थिति काफी खराब हो चुकी है. सांप्रदायिक ताकतें शिक्षा, साहित्य, धर्म, कला सभी चीज़ों पर हमला कर रही हैं. केद्र सरकार राज्यपालों के चुनाव से लेकर न्यायपालिका तक को अस्थिर करना चाहती है.'

स्टालिन का भाषण सुनकर सभी लोग 'थलापति' कहकर प्रशंसा करने लगे. स्टालिन द्वारा खाली किए गए कोषाध्यक्ष के पद पर डीएमके के मुख्य सचिव दुरई मुरुगन को चुना गया है.

इस मौके पर अपने पिता को याद करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे उन्हें पिता कहने से ज़्यादा नेता कहने पर गर्व होता है.' राहुल गांधी ने भी इसे नए अध्याय की शुरुआत कहकर इसकी तारीफ की और उनकी उपलब्धियों के लिए स्टालिन को शुभकामनाएं दीं.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'डीएमके का अध्यक्ष चुने जाने पर स्टालिन को शुभकामनाएं. इस नई राजनीतिक यात्रा में मैं उनके सफलता और प्रसन्नता की कामना करता हूं'

बड़े भाई एमके अलागिरी कि विरोध के बावजूद एमके स्टालिन के अध्यक्ष चुने जाने पर पार्टी कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है. अब स्टालिन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सबको साथ लेकर चलने और चुनाव जीतने की है.

जहां करुणानिधि का कद एक लंबी राजनीतिक यात्रा के बाद इतना ऊंचा हुआ था वहीं स्टालिन की राजनीतिक यात्रा कुछ अलग है. अपने पिता के लिए उन्होंने 14 साल की ही उम्र में शुरू कर दिया था लेकिन स्टालिन के लिए डीएमके में जगह करुणानिधि ने ही बनाई थी.