नई दिल्ली: लंदन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर से पीएम मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि डोकलाम में अब भी चीन की सेना मौजूद है और पीएम मोदी चाहते तो इसे रोक सकते थे अगर वह सावधानी से नजर रखते.' उन्होंने कहा कि डोकलाम कोई अलग मुद्दा नहीं है। ये एक के बाद एक कई घटनाओं का हिस्सा था, यह एक प्रक्रिया थी। प्रधानमंत्री जी डोकलाम को महज एक घटना के रूप में देखते हैं। अगर उन्होंने ध्यान से पूरी प्रक्रिया को देखा होता तो वो इसे रोक सकते थे| राहुल गांधी ने यह बात लंदन के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटिक स्टडीज में कही है.

राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आंकड़ों की बाजीगरी का आरोप लगाते हुये कहा कि जो शब्द इस्तेमाल किये गये हैं वह काफी दिलचस्प हैं. उन्होंने कहा,' चीन ने सेना हटा ली है. जबकि सच्चाई यह है कि चीन की सेना अभी तक वहां मौजूद है.'

गौरतलब है कि वह कल रात जर्मनी की राजधानी बर्लिन में भारतीय प्रवासियों को संबोधित कर रहे थे. इसका आयोजन ‘इंडियन ओवरसीज कांग्रेस’ ने किया था. उन्होंने यहां पर भी नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लंबे भाषण दिए जा रहे हैं और नफरत पैदा की जा रही है, लेकिन किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं और नौजवान अपने लिए बेहतर भविष्य नहीं देख पा रहे हैं.

ख़ास बातें

–भारत की ताकत उसके संस्थान हैं और यही दुनिया में हमे ताकतवर बनाते हैं। जब कोई पूरी संस्थागत संरचना को नज़रअंदाज करता है और नोटबंदी जैसा फैसला करता है, तो इससे भारत की ताकत कम होती है

–1947 में पश्चिम को भारत पर भरोसा नहीं था। लेकिन भारत ने पश्चिम को गलत साबित कर दिया। हमें सफलता इसलिये मिली क्योंकि हजारों लोगों ने संस्थाओं का निर्माण किया, और यही वो संस्थाएं हैं जिन पर आज हमला हो रहा है

–2014 से हमने जो सबक सीखा वो ये है कि नेतृत्व का मतलब यही है कि वो लोगों को सुने और उनसे सहानुभूति रखे

–व्यापार जगत को प्रधानमंत्री मोदी से काफी उम्मीदें थीं। लेकिन आज, भारत के कारोबार जगत पर सीबीआई, ईडी का भारी दबाव है

–विदेश मंत्रालय का एकाधिकार मिटाकर और समाज के अन्य अंगों के लिए इसे और अधिक सुलभ बनाकर एक आधुनिक विदेश मंत्रालय बनाया जा सकता है। भारत की विदेश मंत्री वीजा बनाने में ही काफी समय बिताती हैं

–पाकिस्तान के संबंध में पीएम मोदी के पास कोई गहराई से सोची-समझी रणनीति नहीं है| पाकिस्तान के साथ बातचीत करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि वहां कोई भी ऐसी संस्था नहीं है जो सर्वोच्च हो। तो, हम तब तक प्रतीक्षा करेंगे जब तक कि वो कोई सुसंगत ढाँचा नहीं बनाते|

–भारत तभी सफल हुआ, जब सत्ता विकेंद्रीकृत हुई। पिछले 4 वर्षों में बड़े पैमाने पर सत्ता का केंद्रीकरण हुआ है|

–नोटबंदी का विचार वित्त मंत्री और आरबीआई को नज़रंदाज़ करके, सीधे आरएसएस से आया और प्रधानमंत्री के दिमाग में बैठा दिया गया |

–1.3 अरब लोगों के बीच भेदभाव पैदा करने से भारत की ताकत कम हो जायेगी|

–यदि आप अपने देश के ढाँचे को गहराई से समझते हैं, तो आप संतुलित ताकत का इस्तेमाल करेंगे। आज मैं भारत को अपनी ताकत बढ़ाते नहीं देख पा रहा हूँ|

–भारत में मौजूदा सरकार के बारे में मेरी मुख्य शिकायतों में से एक ये है कि मुझे भारत की ताकत के आधार पर कोई सुसंगत रणनीति नहीं दिख रही है। मुझे केवल तात्कालिक प्रतिक्रियाएं दिखती हैं|

–यद्यपि चीन के साथ हमारा पारंपरिक इतिहास रहा है, लेकिन जहाँ तक लोकतांत्रिक ढाँचे की बात है, हम यूरोपीय देशों के ज्यादा करीब हैं|

–भारत टकराव को कम करने में माहिर है। भारत का बुनियादी सिद्धांत है – जब कोई पूछे कि "भारत का झुकाव बाएं है या दाएं है", तो हमारा जवाब होगा "भारत सीधे खड़ा है"|

–चीन आगे बढ़ रहा है और दुनिया में उस प्रगति का असर भी हो रहा है। भारत संतुलन की भूमिका निभा सकता है और पूरी दुनिया को सुरक्षित जगह बनाने के लिए पुल का निर्माण कर सकता है|

–भोजन, काम, सूचना का अधिकार ये सारा ढांचा बदलाव के दौरान लोगों को होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए तैयार किया गया था|

–हम शांतिपूर्ण ढंग से बदलाव कर रहे हैं। महत्वपूर्ण सिद्धांत ये था कि बदलाव का फायदा सभी भारतीयों को मिले, कोई भी पीछे न छूटे। एक और सिद्धांत ये था कि यह मोटे तौर पर अलग-अलग लोगों के हिसाब से हो|