नई दिल्ली: अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने पिछले दिनों मेरठ में शरई अदालत की तर्ज पर प्रथम हिंदू न्यायपीठ की स्थापना की है. इस तथाकथित 'हिंदू कोर्ट' की पहली जज डॉ. पूजा शकुन पांडेय ने कहा कि जब शरई अदालत हो सकती है तो हिंदू न्यायपीठ भी हो सकती है. इसे किसी की मान्यता की ज़रूरत नहीं है. इस कोर्ट में हिंदुओं के आपसी झगड़े व विवाद का निपटारा होगा. पहली जज के तौर पर डॉ. पूजा शकुन पांडे ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो नाथूराम गोडसे की तरह वह भी मृत्युदंड देंगी.

गौरतलब है कि हिंदू महासभा नाथूराम गोडसे को अपना आदर्श मानता है और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए उनके पदचिन्हों पर चलने की बात करता है. हिंदू महासभा को इस बात का भी गर्व है कि वे नाथूराम गोडसे की पूजा करते हैं, जिन्होंने 30 जनवरी 1948 को महत्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
हिंदू महासभा का कहना है कि वो 15 अगस्त को काले दिवस के रूप में मनाती है, क्योंकि बहुत सारे लोग बंटवारे के दौरान मारे गए. लिहाजा 15 अगस्त को खुशियां कैसे मनाई जा सकती है. जिनको मारा गया वो लोग आतंकवादी नहीं थे.

हिंदू महासभा का कहना है कि इस देश के अंदर शरई अदालतों की स्थापना की गई, जिसे दारुल क़ज़ा नाम दिया गया. वे इस देश के संविधान को चुनोती देते हुए अपने तरीके से फैसला करती थी.

हिंदू महासभा का दावा है कि मेरठ में पहली हिंदू न्यायपीठ की स्थापना की गई है और आने वाली 2 अक्टूबर को इस न्यायपालिका का बायलॉज भी पेश किया जाएगा. 15 नवंबर को जिस दिन नाथूराम गोडसे का बलिदान दिवस है उस दिन देश में 15 और हिंदू न्यायपीठ की स्थापना कर दी जाएगी.

हिंदू न्यायपीठ की पहली न्यायाधीश पूजा का कहना है कि उन्होंने हिंदुओं की राजनीति की है. इस न्यायपीठ में उनको भी इंसाफ दिया जाएगा जिनके पास पैसे नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही उत्तर प्रदेश के हर जिले में एक न्यायपीठ होगी. फिलहाल अलीगढ़, मेरठ, हाथरस, इलाहाबाद में चार न्यायपीठ तैयार हैं.