(1) मानव जाति के भाग्य को पुर्नजीवित करने की आवश्यकता है :-

हम अपने व्यक्तिगत हित के कार्य तो करें लेकिन केवल उन्हीं कार्यों में ही नहीं लगे रहें वरन् ऐसे कार्य भी करें जिनसे समाज तथा विश्व का हित हो। विश्व में आतंकवाद, ग्लोबल वार्मिंग, तृतीय विश्व युद्ध की संभावना, कानूनविहीनता आदि के कारण मानव जाति का अस्तित्व खतरे में है। छोटे बच्चे ज्यादा ग्रहणशाल होते हैं। बचपन में जैसे विचार उनमें डाल दिये जाते हैं वैसे वे बन जाते हैं। बालक का बाल्यावस्था से ही यह संकल्प होना चाहिए कि विश्व शांति का सपना एक दिन सच करके दिखलाऊँगा। यह बचपन का समय ऊँचे-ऊँचे सपने देखने तथा संतुलित शिक्षा के द्वारा उन्हें साकार करने की क्षमता विकसित करने का है। मानव जाति के भाग्य को पुर्नजीवित करने में जीवन की सार्थकता है।

(2) अब हिरोशिमा और नागासाकी जैसी घटनाएं दोहराई न जायें! :-

आज की परिस्थितियाँ ऐसी हैं, जिनमें मनुष्य तबाही की ओर जा रहा है। दो महायुद्ध हो चुके हैं और अब तीसरा हुआ तो दुनिया का ठिकाना नहीं रहेगा; क्योंकि वर्तमान में घातक शस्त्र इतने जबरदस्त बने हैं, जो आज दुनियाँ में कहीं भी चला दिए गए तो घातक परमाणु बम पूरी दुनियाँ को समाप्त कर देने के लिए काफी है। नागासाकी और हिरोशिमा पर तो आज की तुलना में छोटे-छोटे दो खिलौना बम गिराए गए थे। आज उनकी तुलना में एक लाख गुनी ताकत के बम बनकर तैयार हैं। यदि एक पागल आदमी बस, एक परमाणु बम चला दें, तो करोड़ों मनुष्य तो वैसे ही मर जाएँगे, बाकी बचे मनुष्यों के लिए हवा जहर बन जाएगी। जहरीली हवा, जहरीला पानी, जहरीले अनाज और जहरीली घास-पात को खा करके मनुष्य जिंदा नहीं रह सकता। तब सारी मानव जाति का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा।

(3) अच्छे विचार ही मनुष्य को साधारण से असाधारण बनाते हैं :-

महापुरूषों के जीवन को देखे तो बचपन से ही माँ-बाप ने उनके अंदर ऊँचे विचार डाल दिये थे। परमात्मा सबसे महान है। बालक की बचपन से ही परमात्मा से मित्रता करा देना चाहिए। गाँधी जी को बचपन में उनकी माता पुतली बाई ने उन्हें परमात्मा की शरण में दे दिया। महात्मा गांधी में बचपन से ही ईश्वरीय गुणों का विकास हुआ। स्कूल में टीचर के उकसाने पर भी उन्होंने परीक्षा में फेल होना स्वीकार कर लिया किन्तु आगे बैठे छात्र की नकल नहीं की। गांधी जी का बचपन से ही यह विश्वास था कि ईश्वर की आज्ञा के जो अनुकूल हो वे कार्य करने चाहिए यदि ईश्वर की आज्ञा के अनुकूल नहीं हैं तो वे कार्य किसी भी हालत में नहीं करने चाहिए। गांधी जी की आंधी में विश्व के 54 देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गये। गांधी जी की यह आध्यात्मिक ताकत थी। परमात्मा ने
गाँधीजी को असाधारण बना दिया था। महात्मा गांधी ने कहा था कि कोई-न-कोई दिन ऐसा जरूर आयेगा, जब जगत शांति की खोज करता-करता भारत में आयेगा और भारत समस्त संसार की ज्योति बनेगा।

(4) यह जीवन परमात्मा की बनायी सृष्टि को सुन्दर बनाने के लिए मिला है :-

अब्राहम लिंकन एक मोची के पुत्र थे। उनका बचपन अभाव व निर्धनता में व्यतीत हुआ। मानव जाति की भलाई के लिए जीवन में कुछ ऊँचा करने के अपने दृढ़ संकल्प से अमेरिका का राष्ट्रपति बनकर उन्होंने सारी दुनियाँ से गोरे-काले का भेद मिटाया तथा दास प्रथा का अन्त कर दिया। अब्राहम लिंकन ने सारी दुनियाँ को लोकतंत्र की सीख दी। अब्राहीम लिंकन की आंधी में विश्व से राजाओं के राज्य खत्म हो गये तथा उसके स्थान पर जनता के राज्य, जनता के लिए तथा जनता के द्वारा स्थापित हुए।

(5) विश्व शान्ति का सपना एक दिन सच कर दिखलाऊँगा :-

बालक को यह बताना चाहिए कि यह ग्लोब मेरी आत्मा के पिता परमात्मा ने बनाया है इसी में मेरे पिता जी ने चार कमरों वाला अपना घर बना रखा है। एक अच्छा बालक घर को साफ-सुथरा, हरा-भरा तथा सुन्दर बनाने के लिए रोजाना पर्याप्त समय देता है। परिवार के सब लोग उससे खुश रहते हैं। ऐसा बालक बड़ा होकर इस ग्लोब रूपी घर को भी सुन्दर बनाने के लिए अवश्य कार्य करेगा। मैं कसम खाकर कहता हूँ कि हे परमात्मा तुने मुझे इसलिए उत्पन्न किया है कि मैं तुझे जाँनू तथा तेरी पूजा करूँ। परमात्मा को जानने के मायने हैं परमात्मा की वेदों, रामायण, गीता, त्रिपटक, बाईबिल, कुरान, गुरू ग्रन्थ साहिब, किताबे अकदस, किताबे अजावेस्ता में दी शिक्षाओं को जानना तथा पूजा के मायने उन शिक्षाओं पर चलते हुए उसकी बनायी सृष्टि को सुन्दर बनाना है।

(6) विश्व का सबसे शक्तिशाली शस्त्र शिक्षा है :-

नेल्शन मंडेला ने कहा है कि विश्व का सबसे शक्तिशाली शस्त्र शिक्षा है। शिक्षा से ही विश्व में सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है। महात्मा गांधी ने कहा था कि यदि हम विश्व से युद्धों को समाप्त करना चाहते हैं तो उसकी शुरूआत हमें बच्चों से करनी पड़ेगी। संतुलित शिक्षा के द्वारा कोई भी बालक इतनी ऊँचाईयों पर पहुँच सकता है कि वह मानव जाति के भाग्य को पुर्नजीवित करने के लिए विश्व की पार्लियामेन्ट तथा विश्व सरकार बना दें। संतुलित शिक्षा के द्वारा उसके पेन में इतनी ताकत भरी जा सकती है कि वह भावी विश्व सरकार का राष्ट्रपति/प्रधानमंत्री बनके अपने एक हस्ताक्षर से विश्व के सारे परमाणु बमों को नष्ट करने का कानून बना दें। विश्व से युद्धों का नामों निशान समाप्त कर दें।

(7) विश्व एकता की शिक्षा की आज सर्वाधिक आवश्यकता है :-

हमारा मानना है कि ‘हृदयों की एकता’ के द्वारा ही पूरे विश्व में एकता एवं शांति की स्थापना की जा सकती है। युद्ध के विचार मानव मस्तिष्क में पैदा होते हैं। इसलिए मानव मस्तिष्क में ही शान्ति के विचार डालने होंगे। मनुष्य को विचारवान बनाने की श्रेष्ठ अवस्था बचपन है। संसार के प्रत्येक बालक को विश्व एकता एवं विश्व शांति की शिक्षा बचपन से अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए। मानव इतिहास में वह क्षण आ गया है जब शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन लाने का सशक्त माध्यम बनकर विश्व भर में हो रही उथल-पुथल का समाधान विश्व एकता तथा विश्व शान्ति की शिक्षा द्वारा प्रस्तुत करना चाहिए। हमें बाल एवं युवा पीढ़ी को अपने चुने हुए क्षेत्र में वर्ल्ड यूनिटी का वर्ल्ड लीडर बनाना है। युवा भारत ही विश्व में शान्ति स्थापित करेगा।

– डा0 जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ