नई दिल्ली: मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त (CEC) ओम प्रकाश रावत ने कहा है कि एक देश, एक चुनाव अभी क़ानूनन संभव नहीं है. उन्‍होंने कहा कि कानून में संशोधन के बाद ही एक साथ चुनाव संभव है. उन्‍होंने कहा कि 11 राज्यों में एक साथ चुनाव की संभावना दिखती है. वहीं नीतीश कुमार ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' का समर्थन करते हुए एक बार फिर कहा कि फ़िलहाल ये संभव नहीं है.

वहीं भाजपा ने देश में एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है. पार्टी से जुड़े सूत्रों के मानें तो अगले साल देश के 11 राज्यों में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं. इसके लिए अभी से ही तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं. भाजपा ने चुनाव में होने वाले खर्च पर अंकुश लगाने के लिए देश में एक साथ चुनाव कराने पर जोर दिया. सूत्रों के अनुसार भाजपा के इस रुख के बाद देश के तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को विलंबित किया जा सकता है. इतना ही 2019 में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उसे भी एक ही साथ कराया जा सकता है. हालांकि अभी तक किसी ने औपचारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है. पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राज्यों का चुनाव विलंबित करने या पहले कराने को लेकर कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है और इस विचार पर पार्टी के भीतर औपचारिक रूप से चर्चा नहीं की गई है.

ऐसा इसलिए भी क्योंकि ऐसे कदमों की संवैधानिक वैधता का भी ध्यान में रखना होगा. हालांकि इन सब के बीच अगले साल मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ विधानसभाओं का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन राज्यों में कुछ समय के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने की अटकलों को भी झुटलाया नहीं गया है. वहीं इन सब के बीच खबर आ रही है कि देश में एक साथ चुनाव कराने को लेकर एक सर्वदलिय बैठक भी बुला सकती है सरकार.

केंद्र सरकार लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने पर आमसहमति बनाने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने पर विचार कर रही है. यह बैठक विधि आयोग द्वारा इस मामले में कानूनी ढांचे की सिफारिश के बाद आयोजित की जा सकती है. सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर नेताओं के बीच चर्चा का दायरा बढाने के लिए आगामी दिनों में सर्वदलीय बैठक बुलाई जा सकती है, लेकिन बैठक बुलाने को लेकर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.