नई दिल्ली: मुजफ्फरनगर दंगा मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे भाजपा नेताओं की मुसीबतें बढ़ गई हैं. जिले के डीएम ने इन नेताओं के खिलाफ केस वापस लेने से इनकार कर दिया है. इससे योगी सरकार की पार्टी के दो सांसदों और तीन विधायकों समेत दर्जनों नेताओं के खिलाफ साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक दंगों में दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की तथाकथित कोशिश को धक्‍का लगा है. खबर के मुताबिक, योगी सरकार ने 6 महीने पहले मुकदमे वापस लेने के लिए डीएम से रिपोर्ट मांगी थी. लेकिन वर्तमान डीएम राजीव शर्मा ने मुकदमे वापस लेने से इनकार कर दिया है. इस मामले में डीएम ने अपनी रिपोर्ट कानून मंत्रालय को भेज दी है. हालां‍कि कानून के जानकारों की मानें तो सरकार चाहे तो डीएम की रिपोर्ट को नकार सकती है.

बता दें कि भाजपा नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने अगस्त 2013 में एक महापंचायत का आयोजन कर अपने भाषणों से लोगों को हिंसा के लिए भड़काया था. इसके बाद मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे. इन दंगों में 60 लोग मारे गए थे और 40 हजार से ज्यादा लोग बेघर हुए थे. दरअसल पश्चिमी यूपी के एक प्रतिनिधि मंडल ने बीते 6 फरवरी को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी.

इस प्रतिनिधि मंडल में बीजेपी सांसद संजीव बालियान, विधायक संगीत सोम और किसान नेता नरेश टिकैत के अलावा मुजफ्फरनगर के अहलावत और गठवाला थाना क्षेत्र के लोग शामिल हुए थे. इस प्रतिनिधिमंडल ने सीएम ऑफिस को बताया कि मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान 500 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए थे, जिनमें 400 के करीब आगजनी के मुकदमे थे. उन्होंने आगजनी के इन मुकदमों को फर्जी बताते हुए इसे वापिस लेने की मांग की थी.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद संजीव बाल्यान, सहआरोपी भाजपा विधायक उमेश मलिक, भाजपा नेता साध्वी प्राची, उत्तरप्रदेश के मंत्री सुरेश राणा, सांसद भारतेंदु सिंह, बीजेपी विधायक संगीत सोम
के खिलाफ मामले दर्ज हैं.

27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर जिले के कवाल गाँव में जाट-मुस्लिम हिंसा के साथ दंगा शुरू हुआ था. कवाल गाँव में कथित तौर पर एक जाट समुदाय की लड़की के साथ एक मुस्लिम युवक की छेड़खानी से ये मामला शुरू हुआ. उसके बाद लड़की के परिवार के दो ममेरे भाइयों गौरव और सचिन ने शाहनवाज नाम के युवक को पीट-पीट कर मार डाला था. उसके बाद मुस्लिमों ने दोनों युवकों को जान से मार डाला. परिणामस्वरूप इलाके में हिंसा शुरू हो गई. जबरदस्त उपद्रव और लोगों की जानें जाने के बाद यहां पुलिस, अर्द्धसैन्य बल और सेना तैनात की गई थी.