**तौसीफ़ कुरैशी*

बिखरे विपक्ष का लाभ उठाकर 2014 में सरकार बनाने वाली मोदी की भाजपा के 2019 में एकजुट विपक्ष ने किया नाक में दम मोदी एण्ड शाह कंपनी को कुछ सूझ नही रहा कि एकजुट विपक्ष का मुकाबला करने के लिए क्या रणनीति बनाई जाए।2019 में ऐसा फिर हो जैसा 2014 में हुआ इसकी संभावना बिल्कुल नहीं लग रही है।अर्थात हर हालत में मोदी की भाजपा सरकार का जाना तय माना जा रहा है।यूपी के हालात पर अगर गौर करें तो यहां अलग ही परिदृश्य बनता दिख रहा है| बसपा सबसे ताकतवर बनकर उभरती नजर आ रही है क्योकि सपा कंपनी बसपा के सामने लेटने जैसी मुद्रा में है| बसपा कह रही है 45 सीट चाहिए तो सपा कंपनी कह रही है कोई बात नही चार-पांच सीट कम भी मंजूर है।अगर यह गठबंधन जमीन पर उतरता है तो लगता है कि वाराणसी से मोदी चुनाव ही न लड़ें, किसी प्रदेश प्रदेश यानी गुजरात से चुनाव लड़े क्योकि यहां मोदी की भाजपा को जमानत बचानी भारी पड़ सकती है क्योकि फिलहाल यूपी में तीन लोकसभा के उपचुनाव हुए जिसमें मोदी की भाजपा पूरा जोर लगाने के बाद भी नही जीत पाई यहां तक राज्य के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री अपने द्वारा छोड़ी गई सीटें भी नही बचा पाई और मुख्यमंत्री गोरखपुर में अपने बूथ पर भी हार गए।

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल काफी मजबूत होकर उभर रहा है नितीश की हालत पतली हो रही है तो वहां 2014 में 40 सीटों में से 22 सीट जीतने वाली मोदी की भाजपा नीतीश को बड़ा भाई बता रही है, मतलब हालात वहां भी साजगार नही है।राजनीतिक मौसम विज्ञानिक के नाम से जाने जाने वाले राम विलास पासवान जिसके पास 6 सीटहैं वह पाला बदलकर गठबंधन की तरफ आ सकते है जिसके बाद वहां के हालात अलग ही होंगे।

बात करते है मोदी के गुजरात की जहां हाल ही में विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस ने मोदी की भाजपा के दांत खट्टे कर दिए हालाकि वहां सरकार मोदी की भाजपा की ही बनी पर पहले जैसी नही बहुत ही कांटे का मुकाबला हुआ| तो इसलिए वहां 2014 जैसे हालात नही है कि 26 में से 26 ही भाजपा जीत गई थी अब ऐसा नही है|

मध्य प्रदेश व राजस्थान जहां 29 में से 27 ओर 25 में से 25 जीत गई थी।विधानसभा चुनाव लोकसभा से पहले होने है यहां तो हालात यह हैं दोनों राज्य ही हाथ से जाने वाले है तो वहां हालात और भी खराब है|
बात करते झारखण्ड की जहां 14 में से 13 सीट मोदी की भाजपा के पास है वहां गठबंधन मजबूत है वहां राजद, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा व कांग्रेस मिलकर अच्छी हालत में है तो कुल मिलाकर 214 में से 184 सीट मोदी की भाजपा के पास 6 राज्यों में है यहां यह भी बताना उचित है कि बाकी पूरे देश से मोदी के पास मात्र 100 सीट है।मोदी के पास कुल सीट संख्या 284 जो घटकर 270 रह गई है।क्या अब के हालात में कहा जा सकता है कि मोदी की भाजपा इन राज्यों में इतनी सीटे पाने की स्थिति में है अगर आँखों पर पट्टी भी बांध ली जाए तो भी मोदी के 2014 जैसे हालात नही लगते बात करते है मोदी की भाजपा को मिले कुल वोट प्रतिशत की उसे मिले 30 प्रतिशत वोट ओर बिखरे विपक्ष को 70 प्रतिशत वोट जब वह एकजुट होकर चुनाव मैदान में है तो फिर कहां से मोदी की भाजपा की वापसी हो रही है यह बात सब समझ रहे है इस लिए मोदी व शाह कंपनी परेशान ओर बेहाल नजर आ रही है।

राज्य———सीटें———-भाजपा जीती

यूपी————-80———–71+2=73

बिहार———–40———–22+6+2=30

गुजरात———26———–26

मध्य प्रदेश——29———–27

राजस्थान——–25———-25

झारखंड———14———-13

मतलब 214 में से मोदी की भाजपा ने 184 सीटें यहां से ओर कुल 284 सीटें जीत देश में पहली बार बहुमत वाली साम्प्रदायिक सरकार बनाई,जो अब अल्पमत में आ गई है।मोदी की भाजपा यह भी दुष्प्रचार कर रही है कि मोदी को रोकने के लिए पूरा विपक्ष लामबंध हो रहा है जबकि कभी इसी तरह कांग्रेस के खिलाफ भी विपक्ष लामबंध हुआ करता था उसी विपक्ष का हिस्सा यही भाजपा भी होती थी यह बात अलग है भाजपा उस विपक्ष का छोटा सा हिस्सा होती थी जिसके होने या न होने से कोई फर्क नही पड़ता था यहां फर्क यह है कि कांग्रेस विपक्ष की मुख्य दल है।तब विपक्ष के लामबंध होने से भी वह कांग्रेस का कुछ बिगाड़ नही पाते थे एक दो अपवाद को छोड़कर विपक्ष के हाथ कुछ नही लगता था हो सकता है इस एकजुटता के भी कुछ हाथ न लगे पर जितनी बोखलाट विपक्ष की एकता को लेकर भाजपा में देखी जा रही है उससे यही लग रहा है कि काम लग चुका है बस समय का इंतजार हो रहा है अब देखना है कि भाजपा क्या कुछ करती है हर वर्ष दो करोड़ युवकों रोजगार देने का वादा कोरी चुनावी घोषणा ही साबित हुई कहने को तो यह भी कहा जा सकता है कि कुछ करने के नाम पर मोदी सरकार फेल रही है किसी भी मोर्चे पर कोई उपलब्धि नही है हा सिर्फ हिन्दू-मुसलमान के बीच खाई पैदा करने की तो उपलब्धि है जो कहि जा सकती है कि आजादी के बाद से अब तक नही हुआ वह सब कर दिया है मोदी सरकार ने जो इस देश में प्यार मौहब्बत से रहते आए उनके बीच नफरत की दीवार खड़ी करने में बहुत कुछ किया जिसे सदियां याद करेंगी।