लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी येाजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए प्रदेश के सभी ब्लाकों में कल्याण मित्र नियुक्त करने का एक नया शिगूफा छोड़ा है। अभी तक शिक्षा मित्र, अनुदेशक, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आशा बहु आदि कर्मचारियेां की समस्या का समाधान सरकार द्वारा नहीं किया जा सका। एक नये प्रकार का मानदेय प्राप्त कर्मचारियेां की भर्ती का निर्णय लेकर इस सरकार ने अपने लिए और भविष्य में आने वाली अन्य सरकारों के लिए जहर बोने का काम किया है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता ओंकारनाथ सिंह ने कहा कि लाखों की संख्या में बच्चे डाक्टर, इंजीनियर एवं अनके प्रकार के उच्च शिक्षा प्राप्त कर रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं और यह सरकार मानदेय पर भर्ती करने की योजना बना रही है जबकि लाखों पद खाली पड़े हैं। सरकार उनकी समस्या का समाधान करने की कोई योजना नहीं बना रही है।

आश्चर्य की बात है कि बच्चों के भविष्य को सुधारने वाले शिक्षा मित्रों एवं अनुदेशकों का मानदेय क्रमशः 10हजार एवं 9 हजार है और सरकारी योजनाओं का प्रोपेगण्डा करने वाले कल्याण मित्रों को 30 हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय पर रखा जा रहा है। सरकार स्पष्ट करे कि क्या गारण्टी है कि भविष्य में यह तैनात होने वाले कर्मचारी रेगुलर होने की मांग नहीं करेंगे। प्रदेश में प्राइमरी शिक्षक, पूर्व माध्यमिक शिक्षक, पुलिस, सब इन्सपेक्टर और लोक सेवा आयोग के अन्तर्गत लाखों पद खाली हैं। 2015 में सम्पन्न हुई पीसीएस परीक्षा की सीबीआई जांच चल रही है। वर्ष 2016 और 2017 की परीक्षा मा0 उच्च न्यायालय में लम्बित है और वर्ष 2018 की परीक्षा जो आगामी 19 अगस्त को होने वाली थी उसे 22 अक्टूबर घोषित किया गया है जो कि अभी भी सुनिश्चित नहीं है। ऐसे में कल्याण मित्रों की नई भर्ती का शिगूफा छोड़कर यह सरकार प्रदेश के नवयुवकों को केवल भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।