नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रोज़गार और आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है. गडकरी ने कहा कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं. महाराष्ट्र में जारी मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच केंद्रीय परिवहन मंत्री ने कहा, 'जाति के आधार पर नहीं, बल्कि गरीबी के आधार पर आरक्षण देने की जरूरत है, क्योंकि गरीब की जाति, भाषा और क्षेत्र नहीं होती है.' उन्होंने कहा कि अगर आरक्षण किसी समुदाय को मिल भी जाता है, तो नौकरियां कहां हैं, बैंकों में आईटी की वजह से नौकरियां नहीं हैं.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को ये बातें महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मीडिया से बातचीत के दौरान कही. वो आरक्षण के लिए मराठा आंदोलन और अन्य समुदायों द्वारा इस तरह की मांग से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे.

गडकरी ने कहा, 'मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है, लेकिन नौकरियां नहीं हैं. क्योंकि, बैंक में आईटी के कारण नौकरियां कम हुई हैं. सरकारी भर्ती रुकी हुई है. ऐसे में रोज़गार कैसे देंगे?'

उन्होंने कहा, 'एक सोच कहती है कि गरीब गरीब होता है, उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती. उसका कोई भी धर्म हो, मुस्लिम, हिंदू या मराठा (जाति), सभी समुदायों में एक धड़ा है, जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है, खाने के लिए भोजन नहीं है. लेकिन, रोज़गार देने के लिए नौकरियां भी तो होनी चाहिए.’

गडकरी ने कहा, 'निराशा और असुविधा के कारण आरक्षण की मांग हो रही है. इसलिए गांव के अंदर खेती में उपज बढ़ाना जरूरी है और प्रति व्यक्ति आय बढ़ाना जरूरी है.' उन्होंने उम्मीद जताई कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हल निकाल लेंगे.

बता दें कि महाराष्ट्र में 16 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदाय पिछले कुछ दिनों से आंदोलन किया. औरंगाबाद, पुणे, नासिक और नवी मुंबई में आंदोलन हिंसक भी हुआ. जहां दर्जनों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. आरक्षण की मांग को लेकर अब तक कम से कम सात लोग कथित तौर पर खुदकुशी भी कर चुके हैं. हालांकि, अब मराठा समुदाय आरक्षण आंदोलन वापस लेने की बात कह रही है.