नई दिल्ली: मॉब लिंचिंग की घटनाएं बताती हैं कि देश में लॉ एण्ड आर्डर के हालात अच्छे नहीं हैं. सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है. मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को भी दरकिनार कर घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. ये कहना है जमात-ए-इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष नुसरत अली का.

एक न्यूज चैनल से हुई बातचीत में नुसरत अली ने बताया कि हाल ही में जमात ने दूसरे धर्म के लोगों के साथ एक बैठक की थी. बैठक में सिख, ईसाई, बौद्ध धर्म के लोग शामिल हुए थे. हिन्दू धर्म से भी कुछ लोग बैठक में हिस्सा लेने आए थे. बैठक में दूसरे अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों ने परेशानी जाहिर करते हुए कहा कि गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग में पहले मुसलमानों को निशाना बनाया गया. उसके बाद बच्चा चोरी के आरोप में दलित और आदिवासियों को मारा जा रहा है.

यह बेहद चिंता का विषय है. आज ये मुसलमान और दलितों के साथ हो रहा है. कल अल्पसख्यंक वर्ग के दूसरे लोगों के साथ भी हो सकता है. जमात के जनरल सैक्रेटरी मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने बताया कि बैठक में तय किया गया है कि सभी अल्पसख्यंक वर्ग के नुमाइंदों और बैठक में शामिल हुए हिन्दू भाइयों के साथ जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलेगा. मॉब लिंचिंग के संबंध में उन्हें एक ज्ञापन सौंपा जाएगा.

नुसरत अली ने आगे कहा कि जो लोग मॉब लिंचिंग की घटनाओं में पकड़े जा रहे हैं उन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है. उन्हें जल्द ही जमानत देकर छोड़ दिया जा रहा है. उन्हें बड़े-बड़े नेताओं की सरपरस्ती मिली हुई है.

असम के एनआरसी मामले पर बोलते हुए उपाध्यक्ष नुसरत अली ने कहा कि वहां सारा मामला सिर्फ कागजों की कमी का है. वहां रहने वाले लोगों के पास कागज अधूरे हैं. नागरिकता से संबंधित किसी के पास कोई दस्तावेज कम है तो किसी के पास कोई दूसरा. जमात-ए-इस्लामी हिन्द सहित कई दूसरी संस्थाएं वहां पीड़ित लोगों के कागजात पूरे करा रही हैं. वजह ये कि पहले सरकार एक बड़ा आंकड़ा बता रही थी लेकिन दस्तावेज पूरे होते ही ये आंकड़ा घटकर 40 लाख पर आ गया है. अभी भी काम चल रहा है. 40 लाख में भी अभी बहुत सारे लोगों के पास सिर्फ दस्तावेज अधूरे हैं इसलिए उनका नाम रजिस्टर में नहीं आ पाया है. लेकिन कागजी कार्रवाई को पूरा करने के लिए सरकार ने समय कम दिया है.