लखनऊ। एकेडमी ऑफ ओरल इंप्लांटोलॉजी (एओआई) आगामी तीन से पांच अगस्त के दौरान 10वें इंटरनेशनल कांग्रेस फॉर एकेडमी ऑफ ओरल इंप्लांटोलॉजी का आयोजन कर रहा है। द ग्रैंड, नई दिल्ली में होने जा रहा यह तीन दिवसीय सम्मेलन प्रमुख वक्ता के तौर पर हिस्सा लेने वाले विभिन्न देशों के डॉक्टरों के साथ यह वैश्विक प्लेटफॉर्म बनने के लिए तैयार है जो डेंटिस्ट्री के क्षेत्र में अपने-अपने देश द्वारा किए जा रहे नवोन्मेष और आधुनिकीकरण में योगदान के बारे में बताएंगे। इंटरनेशनल कांग्रेस फॉर एकेडमी ऑफ ओरल इंप्लांटोलॉजी (आईसीएओआई) ने बीते कुछ वर्षों के दौरान प्रत्येक वर्ष भारत में सम्मेलन का आयोजन कर डेंटिस्ट्री के क्षेत्र में नवीनतम नवोन्मेष एवं आधुनिकीकरण पेश किए हैं। प्रतिभागी देशों के डॉक्टरों ने युवा और उभरते हुए डेंटिस्टों के बीच जागरूकता और ज्ञान का प्रसार करने की प्रक्रिया में नवीनतम अपडेट्स की जानकारी दी। इस कार्यक्रम की योजना एकेडमी ऑफ ओरल इंप्लांटोलॉजी की कार्यकारी समिति द्वारा प्रत्येक वर्ष बनाई जाती है।

दांत खराब होना, बढ़ती उम्र के कारण दांत को नुकसान, बीमारी या दुर्घटना, खराब और टूटे हुए दांत, मुंह की खराब साफ-सफाई के कारण दांत खराब होना, हृदय जैसे कुछ अंगों को प्रभावित करने वाली खराब सफाई जैसी बीमारियों का उपचार अब तक संभव नहीं था। मुंह की साफ-सफाई के बारे में जागरूकता की कमी, मुंह की सेहत के महत्व को लेकर जागरूकता की कमी और देश में डेंटिस्ट्री के क्षेत्र में उपलब्ध उपचार के बारे में जागरूकता की समान रूप से कमी इसका मुख्य कारण हो सकता है। चूंकि भारत डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप, हृदय रोगों की सूची में शीर्ष पर पहुंच चुका है, ऐसे में मुंह संबंधी समस्यों पर गौर करना सेहत संबंधी महत्वपूर्ण विशय बन चुका है। अब मुंह संबंधी प्रत्येक समस्या का उपचार और उसका सुधार भी उपलब्ध है। इसलिए अधिक उम्र के लोगों को पिसे हुए खाने और द्रवित पदार्थों के आधार पर बगैर दांत के जीवन जीने की जरूरत नहीं है, इसके बजाय वे किसी भी अन्य उम्र के लोगों की ही तरह जीवन का आनंद ले सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों तक अधिक उम्र के लोगों में ओरल इंप्लांट को जोखिम माना जाता है क्योंकि 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में हडिडयों का ढांचा खराब हो सकता है और अधिक उम्र के कारण घाव भरने में देरी हो सकती है। गम संबंधी बीमारियों के जोखिम की वजह से एक चुनौती पैदा होती है क्योंकि इससे ओरल इंप्लांट को खतरा पैदा होता है। हाल में किए गए अध्ययन और शोध से पता चलता है कि अधिक उम्र के लोगों में युवा मरीजों के समान ही इंप्लांट की सफलता देखने को मिली है। इससे बड़े पैमाने पर मरीजों का स्थिर दांत हासिल करने का विकल्प मिला है जिसके लिए किसी भी खास देखभाल की जरूरत नहीं है और अधिक उम्र के मरीजों के लिए किसी भी तरह की परेशानी से मुक्त है। हालांकि यह कहा जा सकता है कि इंप्लांट के बाद नियमित डेंटल परीक्षण और मुंह की सफाई के लिए नियमित जांच अधिक उम्र के मरीजों के लिए जरूरी है।

डॉ. सरनजीत सिंह भसीन, चेयरमैन, एकेडमी ऑफ ओरल इंप्लांटोलॉजी (एओआई) ने कहा, ’’हमारी कोशिश तीन दिनों में एक व्यापक कार्यक्रम तैयार करने की है जहां मुख्य लक्ष्य नवीनतम प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और नवोन्मेष के क्षेत्र में युवा डॉक्टरों को प्रोत्साहित किया। युवा डॉक्टरों को फेलोशिप हासिल करने का अवसर भी मुहैया कराया गया। अनुभवी डॉक्टरों द्वारा विशेषज्ञता साझा करने पर खास तौर पर जोर देने से ओरल इंप्लांटोलॉजी के विज्ञान एवं कला में महत्वपूर्ण बदलाव हुए।’’

डॉ. प्रफुल्ल बाली, अध्यक्ष, एओआई ने कहा, ’’अन्य देशों से हिस्सा लेने वाले डॉक्टरों ने उस दृश्टिकोण में अपना योगदान दिया जिसके साथ एकेडमी की स्थापना की गई थी। उन्होंने डॉक्टरों की युवा पौध के साथ सम्मेलन में पेष किए गए विशयों पर चर्चा करने में काफी दिलचस्पी ली जिससे डेंटिस्ट्री के क्षेत्र में होने वाले सुधार के मुताबिक अपनी जानकारी बेहतर कर सकें। यह प्लेटफॉर्म दुनिया भर में ओरल इंप्लांट में विशेषज्ञता रखने वाली कंपनियों के लिए एक अवसर होगा जो लंबी अवधि के साथ बेहतर उत्पाद लाने के लिए गहन षोध एवं विकास के प्रति समर्पित हैं जो जरूरी है। ये कंपनियां लंबी अवधि की क्षमताओं की पेशकश करने वाले, प्रौद्योगिकी के लिहाज से उन्नत और मरीजों को उपयुक्त डेंटल केयर हासिल करने की संतुश्टि मुहैया कराने वाले उत्पाद विकसित करने के प्रति समर्पित हैं। हमें उम्मीद है कि यह सम्मेलन भारत में बेहतर डेंटल केयर की दिशा में एक कदम होगा क्योंकि इस कार्यक्रम का आयोजन करने के दौरान बीते कुछ वर्षों के दौरान इसकी पुष्टि हुई है।’’

सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले डॉक्टरों ने ब्रिटेन, अमेरिका, इज़रायल, ऑस्ट्रिया, जर्मनी, इटली, दक्षिण कोरिया और स्पेन जैसे देशों का प्रतिनिधित्व किया। एंडोडॉन्टिक्स, प्रॉस्थोडॉन्टिक्स, पीडोडॉन्टिक्स, पीरियोडॉन्टिक्स, ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी और इंप्लांटोलॉजी में विशषज्ञता हासिल करने वाले डॉक्टरों के साथ मुंह संबंधी हर समस्या या बीमारी के डेंटल उपचार नवीनतम प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता के साथ मुहैया कराई जाती है। डेंटल क्षेत्र ने हाल के दशक में काफी उन्नति की है और सम्मेलन में उठाए गए विषयों में इन बातों पर जोर दिया गया जिनमें शार्ट इंप्लांट्स (न्यू रेवोल्यूशन इन इंप्लांट डेंटिस्ट्री), पैराडिम षिफ्ट फ्रॉम कंवेंशनल इंप्लांटोलॉजी (टीथ इन ए डे-मिथ ऑर रिएलिटी) इमिडिएट इप्लांट्स-सक्सेस फैक्टर्स जैसे विषय शामिल हैं।

डॉ. अजय शर्मा, महासचिव एवं कोषाध्यक्ष , एओआई ने कहा, ’’बीते कुछ वर्षों में डेंटल इंप्लांट प्रौद्योगिकियों में जबरदस्त आधुनिकीकरण हुआ है। नई प्रणालियां, मैटेरियल्स और सर्जिकल प्रौद्योगिकियों में बेहतर सुधार से डेंटल पेशेवरों को नवीनतम नवोन्मेषों को सर्वश्रेष्ठ तरीके से इस्तेमाल करने का बेहतर मौका मिला है। बीते कुछ वर्षों में इंप्लांट्स काफी लोकप्रिय हुए हैं क्योंकि वे मरीज के ओरल स्पेस में कई प्रकार के नुकसान को रोकते हैं और उन्हें सेहतमंद जीवन देते हैं। मौजूदा स्तर यह है कि डेंटल इंप्लांट्स लगातार डेंटल उद्योग को उस गति से बदल रहे हैं जो लगातार तेज होती जा रही है। शुरूआती चरण में महंगे माने जाने के बाद डेंटल इंप्लांट्स स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और मरीजों द्वारा डेंटल उपचार के लिए पसंदीदा विकल्प और मुख्यधारा बन चुका है। इंप्लांटोलॉजी में तेज विकास के साथ परेशानी पैदा करने वाले डेंचर से लेकर बगैर परेषानी और बेहतर एस्थेटिक मूल्यों के साथ उचित प्लेसमेंट तक मरीजों के लिए विकल्पों के लिए एक सफर के तौर पर है।