राफेल मुद्दे पर पर कांग्रेस अब मोदी सरकार को बख्शने के मूड में नजर नहीं आ रही है. अविश्वास प्रस्ताव के दौरान बहस में पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन की ओर से दिये गयान बयान को कांग्रेस ने झूठ करार दिया है. अब इस मुद्दे पर दोनों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस लाने पर विचार हो रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस के नेता अब राफेल डील को लेकर आक्रामक हो गये हैं. पूर्व रक्षामंत्री एक एंटनी ने मोर्चा संभालते हुये आज रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 2008 में राफेल से कोई समझौता नहीं हुआ था. 2012 में राफेल को एल-1 के तौर पर चुना गया तब 18 रफ़ाल विमान सीधे आने थे और बाकी एचएएल में बनने थे और राफेल बनाने वाली कंपनी तकनीक ट्रांसफ़र करती. पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि 2008 का कोई समझौता नहीं था इसलिए गोपनीयता की कोई शर्त नहीं थी. प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा की कैबिनेट कमेटी की मंज़ूरी के बिना सौदा बदला जिसमें विमान की क़ीमत काफ़ी अधिक हो गई.

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने राफेल सौदे पर संसद को गुमराह किया, यह विशेषाधिकार हनन का स्पष्ट मामला है. पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा है कि फ्रांस की सरकार को राफेल विमानों की कीमत बताने पर कोई आपत्ति नहीं है, फ्रांस के राष्ट्रपति ने राहुल गांधी से यह बात कही है. उन्होंने कहा है कि संसद के प्रति सरकार की जवाबदेही है कि वह बताएं, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने राफेल सौदे की कीमत के मामले में देश को गुमराह क्यों किया.

फिलहाल ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस अब इस मुद्दे को और खींचने की तैयारी कर ही है और इसे 2019 के लोकसभा चुनाव में बोफोर्स कांड की तर्ज पर मुद्दा बनाने की रणनीति पर काम कर रही है. बोफोर्स डील राजीव गांधी की सरकार में हुई थी जिसमें हुये कथित घोटाले के दाग गांधी परिवार तक पहुंच गये थे और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से हार गई थी.