नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने आम आदमी सरकार को धांधली के आरोपों में निशाने पर लिया है। दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने आरोप लगाया कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार 1000 ई-बसों की खरीद में करीब 750 करोड़ रुपए के घोटाले की तैयारी कर रही है। अजय माकन का आरोप है कि ईपीसीए ने अपनी रिपोर्ट में एक ई-बस की लागत करीब 75 लाख से लेकर 1.75 करोड़ प्रति बस लगायी गई, लेकिन दिल्ली सरकार प्रति बस की लागत 75 लाख रुपए अधिक दिखाकर यानि कि एक बस की कीमत 2.5 करोड़ रुपए दिखाकर इस घोटाले को अंजाम देना चाहती है।

इसके साथ-साथ माकन ने अपने आरोपों में कहा कि बेंगलुरु और हैदराबाद में बस चलाने के लिए प्राइवेट ऑपरेटर को 40 रुपए प्रति किलोमीटर की दर निर्धारित है, जिसमें ऑपरेटर को कोई सब्सिडी भी नहीं दी जाती है। वहीं दिल्ली की आप सरकार ने ऑपरेटर की दर 55 रुपए प्रति किलोमीटर तय कर रही है और साथ ही प्रति बस 1 करोड़ की सब्सिडी भी दे रही है। माकन यही नहीं रुके और कहा कि सीएम केजरीवाल ने दावा किया था कि प्रत्येक कैबिनेट बैठक की रिकॉर्डिंग हुआ करेगी, ताकि इसका सीधा प्रसारण किया जा सके और सरकार के काम और फैसलों में पारदर्शिता लायी जा सके। लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। केजरीवाल सरकार ने कैमरे बंद करवाकर कैबिनेट की बैठक में 1000 ई-बसों की खरीद को मंजूरी दे दी।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि दिल्ली सरकार के वित्त और योजना विभाग ने सरकार के इस प्रस्ताव का यह कहकर विरोध भी किया था कि बिना डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के कैबिनेट 2500 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दे सकता। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट में डिम्ट्स (दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टीमॉडल ट्रांजिट सिस्टम) को सलाहकार बनाए जाने का भी विरोध हो रहा है। दरअसल डिम्ट्स पर जल बोर्ड में वॉटर टैंकर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में धांधली का आरोप है। जिसके चलते दिल्ली सरकार द्वारा डिम्ट्स को ई-बसों की खरीद के प्रोजेक्ट में सलाहकार बनाने पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। वहीं कांग्रेस के आरोपों पर सत्ताधारी पार्टी आप ने इन आरोपों को आधारहीन बताकर खारिज कर दिया। आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बसों की जो लागत बतायी जा रही है वह अनुमानित है। सरकार वैश्विक निविदा आमंत्रित करेगी और कोई भी कंपनी इसमें हिस्सा ले सकती है।