नई दिल्ली: शुक्रवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा खूब हंगामेदार रही। विपक्षी पार्टियों ने केन्द्र सरकार को जहां घेरने की कोशिश की, वहीं सत्ता पक्ष की ओर से भी विपक्ष के आरोपों का जोरदार खंडन करने की कोशिश की और सरकार की उपलब्धियां गिनायीं। इस पूरी बहस को लेकर भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कई ट्वीट किए और संसद में हुई इस बहस को लोकतंत्र के लिए फायदेमंद बताया। अपने ट्वीट में बिहार के पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने लिखा कि संसद में कथित अविश्वास प्रस्ताव पर हुई प्रभावी बहस से राष्ट्र को खुश होना चाहिए। हमारे कुछ नेताओं ने पार्टी लाइन से अलग हटकर बहुत अच्छा बोले। जिन लोगों ने इस बहस को भावनात्मक तौर पर देखा यह उनके लिए मजेदार अनुभव रहा। भाजपा नेता ने कहा कि सभी नेताओं की मौजूदगी में राहुल गांधी सबसे असरदार रहे और उन्होने महफिल लूट ली।

शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा कि “कुछ बौद्धिक नेताओं ने तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर बहुत अच्छा बोला, वहीं कुछ नेताओं ने अच्छी डायलॉगबाजी की। यह 12 घंटे बिना रुके…बिना किसी ब्रेक के सुनना, देखना एक सीखने वाला अनुभव रहा। कुछ भाषण उग्र रहे। पीएम मोदी को ‘ट्रैवलिंग सेल्समैन’ कहने वाले टीएमसी सांसद सौगत राय की सिन्हा ने जमकर तारीफ की। अपने ट्वीट में सिन्हा ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, दिनेश त्रिवेदी और खासकर पहली बार चुनकर संसद पहुंचे टीडीपी के सांसद जयदेव गल्ला ने, जिन्होंने बहस की शुरुआत बड़े ही उत्तेजक अंदाज में की, काफी प्रभावी रहे। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कुछ शब्दों में बहुत कुछ बोला। वहीं तारिक अनवर, फारुख अब्दुल्ला के भाषण छोटे रहे, लेकिन काफी तीखे थे। मेरे लिए सभी नेता बधाई के पात्र हैं, लेकिन मुझे जिस नेता से सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो हैं राहुल गांधी।”

बता दें कि राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान राफेल डील का मुद्दा उठाकर साफ छवि वाली मोदी सरकार पर निशाना साधा। इसके अलावा बैंकिंग घोटालों, रोजगार और नोटबंदी के मुद्दों पर मोदी सरकार की खुलकर आलोचना की। कई विपक्षी पार्टियों ने राहुल गांधी के इस भाषण का समर्थन किया और मोदी सरकार की आलोचना की। हालांकि बाद में पीएम मोदी ने राहुल गांधी की आलोचनाओं पर अपने तीखे जवाब दिए, लेकिन जिस तरह से राहुल गांधी ने आक्रामक होकर मोदी सरकार की आलोचना की, उसकी सभी जगह चर्चा है। अविश्वास प्रस्ताव की जंग भले ही मोदी सरकार जीत गई है, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान जिस तरह से विपक्षी एकता दिखाई दी, उसने मोदी सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें तो खींच ही दी हैं।