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हेट क्राइम में भाजपा शासित यूपी, गुजरात, राजस्थान पहले तीन नंबर पर

नई दिल्ली: मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, 2018 के पहले छह महीने में देश में दलितों, आदिवासियों, ट्रांसजेंडरों व धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के खिलाफ करीब 100 हेट क्राइम हुए हैं। इनमें से सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 18 घटनाएं हुई है। वहीं, दूसरे नंबर पर गुजरात है, जहां 13 घटनाएं हुई है। इसी तरह राजस्थान में आठ, तमिलनाडू और बिहार में सात-सात घटनाएं हुई है। इन रिपोर्ट के अनुसार देश में हेट क्राइम के मामले में भाजपा शासित राज्य सबसे आगे है। यह रिपोर्ट उस समय आया है, जब जून में गौ-हत्या के आरोप में भीड़ का शिकार हुए हापुर निवासी मोहम्मद वसीम के मामले की जांच जल रही है। इस मामले में एक मात्र जीवित 62 वर्षीय समयाद्दीन पुलिस के उस दावे के खिलाफ लड़ रहे हैं, जिसमे कहा गया है कि यह घटना गौ हत्या नहीं, बल्कि रोड रेज के अफवाह में हुई थी।

मानवाधिकार समूह ने वर्ष 2015 के सितंबर माह में उत्तर प्रदेश के दादरी में घर में गौ मांस रखने के आरोप में भीड़ द्वारा अखलाक की हत्या के बाद हेट क्राइम की सूची बनानी शुरू की। उसके बाद से अबतक हेट क्राइम की 603 घटनाएं सामने आ चुकी है। इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 के शुरूआती छह महीनो में दलितों के खिलाफ 67 हेट क्राइम और मुस्लिम के खिलाफ 22 मामले सामने आये हैं। गाय और ऑनर किलिंग से संबंधित मामले हेट क्राइम की मुख्य वजह हैं। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाके में ऐसी घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है। मेरठ के सोभनापुर गांव में गुर्जर समुदाय पर एक दलित युवक की गोली मारकर हत्या का आरोप लगा था। बागपत में भी मई महीने में समुदाय की एक युवती के साथ प्रेम प्रसंग को लेकर पंचायत के फैसले के बाद गुर्जर समुदाय के द्वारा एक दलित युवक की बुरी तरह पिटाई की गई थी। बाद में इलाज के दौरान मेरठ में युवक की मौत हो गई थी। कुछ ही दिनों पहले बुलंदशहर में एक 44 वर्षीय व्यक्ति को पंचायत ने बुरी तरह प्रताड़ित किया था। वजह ये थी कि उसके बेटे ने दूसरे समुदाय की एक महिला के साथ शादी रचा ली थी।

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के एक्यूटिव डॉयरेक्टर आकार पटेल का कहना है कि हेट क्राइम दूसरे क्राइम से अलग होते हैं क्योंकि इसके पीछे भेदभावपूर्व उद्देशय निहित होता है। हालांकि, कुछ उदाहरण को छोड़ दें तो कानून हेट क्राइम को अन्य अपराधों से अलग नहीं मानता है। पुलिस को चाहिए कि वह अपराध की जांच करते समय उनके पीछे की वजहों को सामने लाए।

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