नई दिल्ली: देश के 19 मंत्रालयों और उनके अधीन संचालित संस्थानों में नियम-कायदे दरकिनार कर दिए गए। कहीं कई मदों में अनावश्यक पैसा खर्च हुआ तो कई जगहों पर नियम-कायदों की अनदेखी से करोड़ों के राजस्व की सरकार को चपत लगी। कैग की 2018 की रिपोर्ट नंबर चार के मुताबिक ने इन 19 मंत्रालयों में 1179 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं हुईं हैं। चार अप्रैल 2018 को संसद में टेबल हुई इस रिपोर्ट के मुताबिक अनियमितताएं मार्च 2017 तक के वित्तीय दस्तावेजों की छानबीन के बाद पकड़ में आईं।

सबसे ज्यादा मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय में नियमों को दरकिनार करने का मामला सामने आया। इसके बाद विदेश मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, संस्कृति, उपभोक्ता, मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री आदि मंत्रालयों में धनराशियों के प्रबंधन, खर्च से जुड़ी गड़बड़ियां देखने को मिलीं। देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेंसी ने जनरल, सोशल और रेवेन्यू सेक्टर से जुड़े 46 मंत्रालयों व विभागों की ऑडिट की तो इसमें से कुल 19 मंत्रालयों में गड़बड़ियों के 78 मामले पकड़े गए। यह भी पता लगा कि साल भर के भीतर सकल खर्च 38 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गया। 2015-16 में जहां इन मंत्रालयों का कुल खर्च 53,34.037 करोड़ रुपये था, वहीं 2016 में बढ़कर 73,62,394 हो गया।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने ही बनाए तमाम प्रावधानों और नियमों की मंत्रालयों ने अनदेखी की। परियोजनाओं और बजट प्रबंधन में हद दर्जे की लापरवाही बरती गई। बजट खर्च पर मानो नियंत्रण ही न रहा हो। तमाम मंत्रालयों और विभागों में स्टाफ को अनियमित भुगतान भी हुआ।खास बात है कि पूर्व में हुई ऑडिट के दौरान भी इन गड़बड़ियों की तरफ कैग ने इशारा किया था, बावजूद इसके मंत्रालयों की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हुआ । विदेश मंत्रालय में करीब 76 करोड़ रुपये गैर कर राजस्व की भारी अनियमितता सामने आई। ये अनियमितता वीजा फीस की कम वसूली से जुड़ी रही।

इनमें ऑडिट के दौरान पता चला कि तीन मंत्रालयों ने बकाए के 89.56 करोड़ की वसूली ही नहीं की। इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, मिनिस्ट्री ऑफ शिपिंग शामिल रहे। वित्तीय प्रबंधन से जुड़े नियम-कायदों की अनदेखी के कारण तीन मंत्रालयों में 19.33 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसमें मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में जहां 13.76 करोड़, वहीं संस्कृति मंत्रालय में 2.26 करोड़ का नुकसान हुआ।

खास बात है कि संस्कृति, विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और एमएचआरडी में अपने ही नियम-कायदों का खुला उल्लंघन हुआ। इन मंत्रालयों में कुल दस मामल पकड़े गए, जिससे 65.86 करोड़ रुपये की धनराशि शामिल रही। कैग ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन आने वाले एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल ऑफ इंडिया, कोलकाता की ऑडिट की तो पता चला यहां धनराशि को फिक्स्ड डिपोजिट की जगह बचत खाते में रखा गया। जिससे अक्टूबर 2014 से 2017 के बीच ब्याज के 13.76 करोड़ रुपये की सरकार को चपत लगी।

कैग ने ऑडिट के दौरान कृषि मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, गृह मंत्रालय, एमएचआरडी में कुल 18.87 करोड़ रुपये के अनावश्यक खर्च को भी पकड़ा। जांच के दौरान पाया कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की यूनिट नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशियन, हैदराबाद में कुल 1.52 करोड़ के उपकरण बेकार पड़े थे, जबकि 2.13 करोड़ के उपकरणों का पिछले पांच साल से कोई उपयोग ही नहीं हुआ था। इसी तरह गृह मंत्रालय के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस ने अत्याधुनिक सिस्टम के लिए सर्वर और साफ्टवेयर की खरीद पर 1.11 करोड़ रुपये खर्च कर डाले। मगर साढ़े तीन साल तक इसका प्रयोग ही नहीं हुआ।आइआइटी मुंबई की ऑडिट के दौरान संस्थान ने एक मार्च 2016 से 31 मार्च 2017 की अवधि में 2.56 करोड़ रुपये सेवा कर के अनियमित भुगतान का मामला पकड़ में आया।