शासन से जारी हो चुका बजट, आयेंगी दवा निर्माण के लिए नई मशीनें

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आयुष पद्धति को जन-जन तक पहुॅंचाने के लिए आयुष विभाग द्वारा लगातार तेजी से कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में मरीजों को कईं बीमारियों से ठीक करने के लिए राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधि निर्माणशाला, उ0प्र0, लखनऊ की दवाईयां बढ़ाने का निर्णय किया गया है, जिसमें अभी तक आयुर्वेदिक की 50 दवाईयां ही बनती थी अब इसमें 80 दवाईयां और बनाने का आदेश जारी हुआ है। इसलिए अब 130 आयुर्वेदिक दवायें निर्माणशाला में बनायी जायेंगी। वहीं यूनानी की 42 दवायें बनती थी, इसमें अब 43 और दवाइंया षामिली की गयी हैं जो कुल मिलाकर अब 85 दवाईयां बनेंगी जिससे कि आने वाले समय आयुष अस्पतालों में मरीजों को ज्यादातर दवायें आसानी से मिल सकेगी और उन्हें दवाओं की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इसी क्रम में 12 जुलाई को राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधि निर्माणशाला, उ0प्र0, लखनऊ की उच्चीकरण और दवाओं की गुणवत्ता बढाने के लिए सी0डी0आर0आई0 के फार्मोकोलाॅजी डिपार्टमेंट की पूर्व डिप्टी डायरेक्टर डाॅ0 मधुर राय ने निरिक्षण किया, इनके साथ आयुष सोसाइटी से डाॅ0 सुनील कुमार, डाॅ0 सुबोध कुमार, औषधि निर्माणशाला के अधीक्षक, प्रकाश चन्द्रा, डाॅ0 ए0के0 श्रीवास्तव, डाॅ0 मनदीप जायसवाल, डाॅ0 राजीव नारायन थे, दवाओं का अत्याधुनिकीकरण के संबंध में डाॅ0 मधुर राय ने बताया कि यहाॅं पर प्राचीन और परम्परागत ढंग से दवाईयां बनायी जाती है। इस तरह से दवाईयां विश्व में कहीं नहीं बनायी जा रही है। दवा बनने की इस प्राचीन विधि को सुरक्षित रखते हुए आयुर्वेदिक एवं यूनानी दवाओं को और बढ़ाया जा सकता है।

दवा निर्माण का कार्य शुरू- राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधि निर्माणशाला, उ0प्र0, लखनऊ में दवाओं की संख्या बढ़ाने की तैयारियां शुरू हो गयी है। दवाओं के कच्ची औषधियां के लिए अधिकारियों ने टेण्डर प्रक्रिया हो चुकी है। राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधि निर्माणशाला, उ0प्र0, लखनऊ के अधीक्षक डाॅ0 प्रकाश चन्द्रा का कहना है कि मरीजों को गुणवत्ता पूर्वक दवाई मिले इसके लिए मानकों को ध्यान में रखकर ही दवाओं का निर्माण किया जाता है। दवाओं की संख्या बढ़ाने के लिए शासन से अनुमति मिल चुकी है जिससे कि मरीजों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाने के लिए प्राचीन एवं नवीन तकनीक द्वारा दवायें बनायी जायेंगी।

यूनानी चिकित्सालय में मिलेंगी यह दवाइयां- प्रदेश में यूनानी की 02 कालेज तथा लगभग 254 से ज्यादा डिस्पेन्सरी हैं। औषधि निर्माणशाला के डाॅ0 प्रकाश चन्द्रा ने बताया कि यूनानी विधा में पिछले 30 साल से कुछ मर्ज की दवाओं का निर्माण बंद हो गया था जिसको अब दुबारा बनाने का फेसला हुआ है। इससे बच्चों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा क्योंकि न्युमोनिया, खाॅंसी, डायरिया, दस्त, पीलिया और बुखार की दवा सिरप एवं चूर्ण के रूप में बनायी जायेगी। इसके अलावा महिलाओं को हो रही माहवारी में होने वाली समस्या एवं लिकोरिया को ठीक करने के लिए कईं प्रकार की दवाई बनायी जायेगी।

आयुर्वेदिक चिकित्सा में मिलेंगी यह दवाइयां- प्रदेश में 8 आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज और 2104 से अधिक आयुर्वेदिक डिस्पेन्सरी हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में पेट रोग, चर्म रोग, हृदय संबंधी समस्या, लिवर में समस्या और कई प्रकार की दवाइयों को बनाया जायेगा जिससे बीमारियों का इलाज सटीक और सफल हो सकेगा। इसमें एसिडीटी, गैस, कब्ज और कईं प्रकार की बीमारियों की दवाइयां शामिल हैं।

बढ़ेगा जनशक्ति- औषधि निर्माणशाला में अभी दवा निर्माण के लिए लगभग 60 के करीब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। यहाॅं 50 और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को बढ़ाने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही दवाओं की टेस्टिंग लैब में प्रयोगशाला सहायक और फार्मास्यूटिकल कैमिस्ट की नियुक्ति जल्द ही की जायेगी।
दवा निर्माण के लिए बजट- यूनानी दवाओं के लिए 50 लाख का बजट इस साल जारी हुआ है। वहीं आयुर्वेदिक दवाओं का 2 करोड़ 23 लाख है।
निर्माणशाला में आयेंगी 36 मशीनें- औषधि निर्माणशाला के लिए आयुष विभाग द्वारा रु0 1.56 लाख की मशीनें खरीदी जानी हैं जिसका टेण्डर हो चुका है। जिससे टेबलेट मेकिंग, बोटल शीलिंग मशीन, पाउडर मेकिंग सहित लगभग 36 अत्याधुनिक मशीनें हैं। इन मशीनों से निजी कम्पनियों के द्वारा बनायी जा रही आयुर्वेदिक एवं यूनानी की दवाओं की तरह बनाया जायेगा। यह दवायें सरकारी आयुष अस्पतालों में मरीजों को मिलेंगी। दवाओं के निर्माण में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा गया है।