नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाक़ात की, जिसमें इतिहासकार इरफ़ान हबीब, पूर्व आईएएस एमएस फारुक़ी समेत कई मुस्लिम बुद्धिजीवी मौजूद थे. मुलाक़ात का मक़सद मुसलमानों से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श बताया गया. हालांकि कांग्रेस पर एक बार फिर मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगाया जा रहा है.

राहुल गांधी के घर बुलाई गई इस बैठक में इतिहासकार इरफ़ान हबीब भी पहुंचे और पूर्व आईएएस एमएस फारुक़ी भी थे. अलग-अलग क्षेत्रों के क़रीब दर्जन भर मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ राहुल की मुलाक़ात दो घंटे से ज़्यादा चली. सलमान ख़ुर्‌शीद ने इस बैठक को मुसलमानों से जुड़ी समस्याओं को समझने की कोशिश बताया.

कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद ने कहा कि बैठक में शामिल होने वाले बुद्धिजीवियों ने इसे न तो शरिया कोर्ट से और न ही तीन तलाक या हलाला से जुड़ा है. बल्कि इसे बिना एजेंडे की मीटिंग करार दिया. शिक्षाविद इलियास मलिक ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि जब मुसलमान मिलेंगे तो तीन तलाक पर ही मिलेंगे. दूसरी तरफ बीजेपी ने राहुल गांधी की इस मीटिंग पर निशाना साधा है. बीजेपी ने कहा कि मुसलमानों की ख़राब हालत की ज़िम्मेदार कांग्रेस ही है और अब वो दिखावा कर रही है. बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हाराव ने कहा कि कांग्रेस ने मुसलमानों पर बहुत अन्याय किया है.

कांग्रेस की इस बात को लेकर भी आलोचना हो रही है कि आख़िर सेकुलरिज्म की बात करने वाली पार्टी धर्म के आधार पर बुद्धिजीवियों को क्यों बांट रही है. कांग्रेस की सफाई है कि जिस तरह से उसके नेता दलित और पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधियों से मिलते रहे उसी तरह से मुसलमानों से मिले हैं. आगे भी ये सिलसिला जारी रहेगा.