विवाद बढ़ा तो सरकार ने दी सफाई

नई दिल्ली: छह उत्कृष्ठ संस्थानों की सूची में रिलायंस फाउंडेशन के Jio Institute को डाले जाने से विवाद पैदा हो गया है। इंस्टीट्यूट के चयन और उसके उद्देश्य को लेकर सोशल मीडिया पर सरकार के इस फैसले की तीखी आलोचना हो रही है क्योंकि रिलायंस फाउंडेशन का 'जियो इंस्टीट्यूट' अभी चालू भी नहीं हुआ है। कांग्रेस ने भी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है

आपको बता दें कि सोमवारु को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 6 विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ठ संस्थान का दर्जा प्रदान करने की घोषणा की थी। इनमें सरकारी संस्थानों में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बंबई और आईआईएससी बेंगलुरु शामिल हैं। मंत्रालय ने प्राइवेट सेक्टर में मनीपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी और जियो इंस्टीट्यूट को भी उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा प्रदान किया है।

कांग्रेस ने भाजपा पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी की मदद करने का आरोप लगाया है।

कांग्रसे ने ट्वीट कर सवाल किया है कि जो JIO इंस्टीट्यूट अभी आस्तित्व में भी नहीं आया है, उसे उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दे दिया गया है। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि यह दर्जा उसने किस आधार पर दिया है।

जेएनयू की प्रोफेसर आएश किदवई ने कहा, 'इसका कोई कैंपस नहीं, न कोई वेबसाइट और न ही कोई एलुम्नी, फिर भी इसने (JIO इंस्टीट्यूट) ने अशोक यूनिवर्सिटी और ओपी जिंदल जैसी नामी प्राइवेट यूनिवर्सिटी को पीछे छोड़ दिया। इसे स्थापना से पहले ही वर्ल्ड क्लास संस्थान का दर्जा दे दिया गया है। क्या इसमें हमें हितों के टकराव नहीं नजर आता?'

सोमवार को भी Jio Institute ट्विटर पर ट्रेंड हो रहा था। यूजर एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को टैग करते हुए जियो इंस्टीट्यूट की लोकेशन पूछ रहे थे।

संस्थानों का सेलेक्शन करने वाली संस्था यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने बचाव में कहा है कि जियो इंस्टीट्यूट का चयन नए या प्रस्तावित संस्थानों के लिए ग्रीनफील्ड कैटेगरी के नियमों के तहत किया गया है।

एचआरडी मंत्रालय ने कहा है कि ईईसी (एमपॉवर्ड एक्सपर्ट कमेटी) ने यूजीसी रेगुलेशन 2017 (क्लॉज 6.1) के आधार पर 11 प्रपोजल प्राप्त किए थे। यह प्रोविजन आगामी शिक्षण संस्थानों के लिए है। मंत्रालय के अनुसार चार मानक तय किए गए थे- इंस्टीट्यूट बनाने के लिए जमीन उपलब्ध हो, शीर्ष योग्यता और व्यापक अनुभव वाली टीम रख रहे हो, इंस्टीट्यूट स्थापित करने के लिए फंड जुटा सके, एक कारगर रणनीतिक प्लान होना चाहिए। जियो इंस्टीट्यूट इन मानकों पर खरा उतरा है।

इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस के लिए चयनित इंपावर्ड एक्सपर्ट कमेटी के चेयरमैन प्रो. एन गोपालस्वामी के मुताबिक जियो इंस्टीट्यूट के पास लेटर इन इंटेंट के तहत तीन वर्ष का समय है। इस दौरान इंस्टीट्यूट को इन्फ्रास्ट्रक्चर पूरा करना होगा। इसके बाद ही एमिनेंस का स्टेट्स मिलेगा। 'आगामी शिक्षण संस्थानों' के वर्ग में सबसे अच्छे प्रोस्पेक्टिव प्लान को मेरिट में जगह मिली है।

जिन सरकारी संस्थानों को उत्कृष्ठ संस्थान का दर्जा प्रदान किया गया है, उन्हें अगले पांच वर्षो के दौरान 1000 करोड़ रुपये का सरकारी अनुदान मिलेगा।

कमिटी को कंपनी द्वारा सौंपे गए प्रपोजल के मुताबिक जियो इंस्टीट्यूट 9,500 करोड़ रुपये खर्च करेगा और पूरी तरह रिहायशी शहर पुणे में स्थापित होगा।