लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में कोई भी छात्र अब धरना या किसी भी तरह का प्रदर्शन नहीं कर सकेगा. विश्वविद्यालय ने पूरे परिसर में धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी है. प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय के शैक्षिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए यह कदम उठाए गए हैं. उधर, छात्र संगठनों में इसको लेकर काफी नाराजगी है. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर विरोध के संवैधानिक अधिकार का हनन किए जाने के आरोप लगाए हैं.
छात्रों का कहना है कि अघोषित इमरजेंसी जैसी बात है और हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे. इस मामले में यूपी बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में अराजकता फैलाने वालों को रोकने के लिए फैसला लिया गया है. जिससे परिसर में शांति का माहौल बना रहे.
बता दें कि विश्वविद्यालय परिसर में अब सिर्फ गेट नंबर एक, गेट नंबर चार और पांच से ही प्रवेश किया जा सकेगा. बाकी के गेट बंद कर दिए गए हैं. इसके अलावा, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव को समन्वय समिति का समन्वयक बनाया गया है. विश्वविद्यालय परिसर में अब बिना पास के वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है. छात्रों के लिए आईकार्ड अनिवार्य कर दिया गया है.
बिना आईकार्ड उन्हें परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. छात्रावास में रहने वाले छात्रों को यदि वह वाहन रखते हैं तो उसकी सूचना उपलब्ध करानी होगी. जिला प्रशासन के साथ प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम छात्रावासों का औचक निरीक्षण करेगी.
इससे पहले, शुक्रवार को ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गत 4 जुलाई को, लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में कुछ अराजक तत्वों द्वारा शिक्षकों से मारपीट किये जाने के मामले में लापरवाही भरा रवैया अपनाने के लिये लखनऊ पुलिस को फटकार लगायी थी. पीठ ने विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के मामले में पुलिस महानिदेशक, लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर को तलब करने के बाद उभरे तथ्यों पर यह तल्ख टिप्पणियां की थी.
अदालत ने विश्वविद्यालय प्रशासन से सुझाव मांगे हैं कि आखिर विश्वविद्यालय परिसर में गुंडागर्दी को कैसे रोका जाए. इस मामले की अगली सुनवाई अब 16 जुलाई को होगी.
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