लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हर गांव के एक दलित को रोजगार से जोड़ने का काम तेज हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा निर्देश पर दलितों के आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा है। राज्य सरकार की पंडित दीनदयाल उपाध्याय रोजगार योजना के तहत हो रहे कार्यों का परिणाम जल्द ही दिखाई देने लगेगा। ये बातें अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने लखनऊ के रविद्रालय में रविवार को छात्र/छात्राओं के पुरस्कार वितरण कार्यक्रम व सामाजिक सम्मेलन में कही है। वह बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने आगे कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार 20 हजार से 15 लाख रुपए दलितों को रोजगार शुरू करने के लिए मुहैया करवा रही है। इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है। दलितों का उत्पीड़न रोकने के लिए उनका सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। इस दिशा में पहली बार काम हो रहा है। पहली बार केंद्र की मोदी सरकार ने देश के हाशिए के समाज के लिए स्टैंडअप इंडिया और स्टार्टअप इंडिया के तहत आर्थिक मदद और लोन की सुविधा दी है। इससे दलित कोई भी छोटा या मझोला कारोबार आसानी से शुरू कर सकता है।

सम्मान समारोह व सामाजिक सम्मेलन का आयोजन सुदर्शन अंबेडकर युवा महासभा के तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम में 100 से अधिक मेधावी छात्र/छात्राओं को सम्मानित किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता राज्यसभा के पूर्व सांसद नारायण सिंह केसरी दादा ने की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में चार बार मायावती की सरकार रही किन्तु उन्होंने हाशिये के समाज को भी कई टुकड़ों में बांट दिया और आंबेडकर के सपनों के साथ छल किया। पूर्व सांसद ने आगे कहा कि हाशिये का समाज अब मायावती के साथ नहीं है।

सम्मान समारोह में कई प्रदेशों से आए करीब एक हजार लोगों ने शिरकत की। सुदर्शन अंबेडकर युवा महासभा के अध्यक्ष लालजी धानुक ने कहा कि जल्द ही दलित समाज के बच्चों को स्कॉलरशिप दिए जाने के लिए फंड की व्यवस्था की जाएगी। मेधावी बच्चों की पढ़ाई में किसी भी बांधा को धानुक समाज के लोग मिलकर दूर करेंगे। बच्चे शिक्षित होकर ही समाज को आर्थिक रूप से मजबूत कर सकेंगे।

छात्र/छात्राओं के सम्मान समारोह में सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ नंद किशोर ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि आज शिक्षा पर जोर देने वाला समाज ही तरक्की कर रहा है। यह किसी बच्चे का ही केवल सम्मान नहीं है, यह उनके अभिभावकों का भी सम्मान है। इस दिशा में भी काम होना चाहिए कि बच्चों के साथ ही उनके अभिभावकों को भी सम्मानित कर हौसला बढ़ाया जाए। डॉ. नंद किशोर ने कहा कि अंधकार को दूर करने के लिए ही यह सम्मान दिया जा रहा है। बिहार से आईं अनीता मंडल ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा बहुत जरूरी है। जब दलित महिलाओं के साथ हिंसा होती है, तो दिल दहल जाता है। उन्हें जानवरों से भी बदतर समझा जाता है। हमें इसे खत्म करना होगा।