राम मंदिर के लिए मोदी सरकार को दिया 4 महीने का अल्टीमेटम

नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने राम मंदिर सहित कई मुद्दों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को 4 महीने का अल्टीमेटम दिया है. उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं तो 'अगली बार हिंदू सरकार' के नारे के साथ मैदान में उतरा जाएगा. प्रवीण तोगड़िया ने हिंदुत्ववादी संगठन अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद (अहिप) का गठन कर अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले अक्तूबर में अयोध्या कूच के साथ नया राजनीतिक दल बनाने के स्पष्ट संकेत दिये हैं. तोगड़िया ने अहिप के उद्घाटन सम्मेलन में केन्द्र में मोदी सरकार के समक्ष हिंदू मांग पत्र पेश करते हुये राम मंदिर निर्माण, समान नागरिक संहिता, गौ हत्या प्रतिबंधित करने, मुस्लिम समुदाय का अल्पसंख्यक का दर्जा खत्म कर अल्पसंख्यक आयोग भंग करने और कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने सहित अन्य मांगें इस साल अक्टूबर तक पूरी करने की मोहलत दी. उन्होंने कहा कि मोदी द्वारा चुनाव पूर्व किये गये इन वादों की पूर्ति अगर अगले चार महीनों में नहीं हुयी तो आगामी लोकसभा चुनाव में ‘‘अबकी बार हिंदू सरकार’’ के नारे के साथ उन्हें हिंदूवादी राजनीतिक विकल्प देना पड़ेगा.

तोगड़िया ने कहा कि अहिप के गठन का मकसद अयोध्या में राम मंदिर के साथ काशी और मथुरा के विवादित मुद्दों का हल कराना, गौ हत्या को प्रतिबंधित कराना और कश्मीरी हिन्दुओं की घर वापसी सुनिश्चित करते हुये हिंदू हितों को आगे रखना है. उन्होंने बताया कि अक्टूबर में वह ‘लखनऊ से अयोध्या कूच’ कर इस अभियान की देशव्यापी शुरुआत करेंगे. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठन का ढांचा खड़ा करने का काम वह पहले ही शुरू कर चुके हैं. इसके लिये देश के एक लाख गांवों में हस्ताक्षर अभियान चलाकर संगठन की मांगों पर जनता की राय लेंगे. साथ ही संगठन की विभिन्न इकाईयों के रूप में राष्ट्रीय बजरंग दल, राष्ट्रीय किसान परिषद, राष्ट्रीय मजदूर परिषद, राष्ट्रीय महिला परिषद, नव युवतियों के लिये ओजस्वनी और राष्ट्रीय छात्र परिषद का भी गठन करते हुये हिंदू हेल्पलाइन शुरू की गयी है.

संगठन के राजनीतिक एजेंडे के सवाल पर तोगड़िया ने अपने अभियान को ‘हिंदू वोट बैंक’ को एकजुट करने की कार्ययोजना बताया. उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक विकल्प की पूर्ति से जुड़ी इस कार्ययोजना का अक्टूबर में ही खुलासा करेंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि राजनीति में आना उनका मूल मकसद नहीं है बल्कि आजाद भारत में हिंदू हितों की लगातार अनदेखी किये जाने के कारण उन्हें राजनीतिक विकल्प का मार्ग चुनना पड़ेगा.