लीवर दानकर बेटे ने पिता को दिया जीवन का तोहफा

लखनऊ। देश में महामारी की तरह तेजी से बढ़ रही लीवर की बीमारियों के बीच 18 वर्षीय बेटे ने लीवर की बीमारी से ग्रसित अपने पिता की जान बचाने के लिये अपने स्वस्थ्य लीवर का एक हिस्सा दान कर दिया। जब उसने लीवर दान करने का निर्णय लिया तो उस वक्त बालिग होने में कुछ समय बाकी था, और बाकी इस समय का इंतजार करने के बाद उसके लीवर का सफल ट्रांसप्लांट किया गया। फोर्टिस हेल्थकेयर में हुयी इस सफल सर्जरी के बाद लीवर ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक व प्रमुख डा0 विवेक विज ने बताया कि 46 वर्षीय विजय कुमार के लीवर में अधिक शराब पीने की वजह से लाइलाज बीमारी हो गई थी। लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी होने से डेढ़ साल पहले तक उन्हें लगातार बुखार रहता था। इससे रोगी को पीलिया हो गया। उन्होंने हर्बल दवाओं से इसका इलाज कराया। रोगी की हालत ठीक नहीं हुई और उसे गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ब्लीडिंग भी होने लगी। रोगी को इस गंभीर हालत में फोर्टिस लाया गया था और इसके इलाज के लिए लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। डॉ विवेक विज ने कहा लीवर षरीर का सबसे बड़ा भीतरी अंग होता है और यह बहुत महत्वपूर्ण भी है। यह अनेक भूमिकाए निभाता है जिनमें ब्लड से टोक्सिक मैटेरियल हटाना, षरीर को आवष्यक एनर्जी देना, सेक्स हार्मोन को रेगुलेट करना तथा शरीर को कोलेस्ट्रोल, विटामिन ओर मिनरल्स की सप्लाई करना शामिल है। लीवर की बीमारी होने पर ये सभी काम ठप पड़ जाते हैं। ऐसे में मरीज को बचाने के लिए लीवर ट्रांसप्लांट करना ही एक मात्र विकल्प रह जाता है। भारत दुनिया भर में लिविंग लीवर डोनर ट्रांसप्लांट के मामले में सबसे आगे है। यह सर्जरी लीवर हासिल करने वाले नवजात शिशु से लेकर किसी भी उम्र में की जा सकती है और फोर्टिस में इसकी सफलता 96 प्रतिशत रही है। सर्जरी के बाद जटिलता की घटनाएं यहां सबसे कम हैं। डॉ विज ने कहा-‘‘लीवर ट्रांसप्लांट के मामले में पिछले दो दशक में भारी बदलाव आए हैं। पहले लीवर ट्रांसप्लांट के मामले में लोगों में जागरूकता बहुत कम थी और इस प्रकार की सर्जरी बहुत दुर्लभ थीं। लेकिन अब यह बहुत आम और स्वीकार्य सर्जरी बन गई है। मरीज लीवर ट्रांसप्लांट के लिए देश से बाहर जाते थे लेकिन अब मेडिकल टूरिज्म के तहत बाहर के मरीज भारत आते हैं और देश में इस सर्जरी के लिए शोध एवं विकास के कार्य में डॉक्टर जुटे हुए हैं। हमारे यहां सर्जरी के बाद जीवन बचने की दर 98 प्रतिशत है और कौशल, विशेषज्ञता एवं सुविधाएं भी दुनिया की बेहतरीन सुविधाओं की बराबरी की हैं।