नई दिल्ली: साल 2019 के लोकसभा चुनावों का बिगुल बजने ही वाला है। लोकसभा चुनावों की आहट मिलते ही बिहार की राजनीतिक सुगबुगाहट तेज हो गई है। बिहार में केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति पारस ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। उन्होंने साफ संकेत दिया है कि अब 2014 वाली बात नहीं रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए के सभी बड़े दलों को दिल बड़ा करने की जरूरत है। पत्रकारों से पटना में बातचीत करते हुए लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति पारस ने कहा,”2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को भाजपा अकेले नहीं जीत सकती है। जीतने के लिए उसे एनडीए गठबंधन के घटक दलों के सहयोग की जरूरत पड़ने ही वाली है। हम पिछली बार 7 सीटों पर लड़कर छह सीट जीते थे। इस बार भी हम सात से कम सीटों पर दावा नहीं करेंगे।
वहीं जब पशुपति पारस से सवाल किया गया कि बिहार में बड़े भाई की भूमिका में कौन सा दल होगा? इस सवाल के जवाब में पशुपति पारस ने साफ कहा,”सवाल बड़े और छोटे का नहीं है। बिहार में नीतीश कुमार सबसे बड़े नेता हैं। जबकि केंद्र में नरेंद्र मोदी की भाजपा सबसे बड़ा दल है। चुनाव में टिकट बंटवारे के समय हम सभी चार दल दिल और दिमाग खोलकर बैठेंगे और चर्चा के बाद सीटों का बंटवारा हो जाएगा।”
बिहार में एनडीए की बैठक 7 जून को होने वाली है। बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए राज्य की रणनीति पर चर्चा होगी। रविवार (3 जून) को जेडीयू की कोर कमेटी की बैठक हुई, जिसमें फैसला लिया गया कि नीतीश कुमार बिहार में एनडीए का चेहरा होंगे। इसके साथ ही बैठक में फैसला लिया गया कि जेडीयू 40 लोकसभा सीटों में से 25 पर चुनाव लड़ेगी। इस बयान से ठीक पहले उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘देश के पीएम नरेंद्र मोदी है, लेकिन बिहार के नेता तो नीतीश कुमार हैं, इसलिए बिहार में जो वोट मिलेंगे वो नरेंद्र मोदी के नाम पर और नीतीश कुमार के काम पर मिलेंगे। इसमें विरोधाभास कहां है?’
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