पटना: बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार इन दिनों प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं। उन्होंने आनन-फानन में पार्टी नेताओं की कोर कमेटी की आज (03 जून) एक बैठक बुलाई। पटना में उनके सरकारी आवास पर दोपहर में चली लंबी बैठक के बाद पार्टी महासचिव के सी त्यागी ने साफ कर दिया कि बिहार में एनडीए गठबंधन में उनकी पार्टी जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में है, इसलिए उनके नेता सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई में ही चुनाव लड़ा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी 25 से कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी। बता दें कि बिहार में कुल 40 लोकसभा सीट हैं, जिनमें से 22 पर अभी बीजेपी का कब्जा है, जबकि 6 पर रामविलास पासवान की पार्टी का और तीन पर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी का कब्जा है। जब लोकसभा चुनाव हुए थे तब नीतीश एनडीए से अलग थे। उनके कुल दो सांसद हैं। हालांकि, बिहार विधान सभा में जेडीयू बीजेपी से बड़ी पार्टी है।

इस बैठक में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मौजूद थे। बैठक में लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई। पार्टी महासचिव पवन वर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर अपने रुख पर कायम है। उन्होंने कहा कि पार्टी जीएसटी पर भी कायम है। वर्मा ने कहा कि बैठक में एनडीए के स्वरूप पर कोई चर्चा नहीं हुई बल्कि सिर्फ पार्टी के मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि राज्य में कोई भी चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा।

यह बैठक इसलिए भी अहम हो गई है क्योंकि जोकीहाट उप चुनाव हारने के बाद जेडीयू नेता ने इसका ठीकरा केंद्र की मोदी सरकार पर फोड़ा था। इसके बाद एनडीए के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने भी आरोप लगाया था कि एनडीए में सहयोगी दलों की नहीं सुनी जाती है। इसके बाद 7 जून को बिहार एनडीए की बैठक तय हुई। इस बैठक में लोकसभा चुनाव पर भी चर्चा की संभावना है। माना जा रहा है कि इस बैठक की अध्यक्षता नीतीश कुमार ही करेंगे लेकिन इसमें बीजेपी, आरएलएसपी और एलजेपी के तमाम नेता मौजूद रहेंगे। ऐसे में एनडीए की बैठक से पहले जेडीयू की यह बैठक सहयोगी दलों पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए बुलाई गई है। उधर, एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान ने रविवार को ही दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की है।