बल्दीराय-सुल्तानपुर। तहसील क्षेत्र में प्रतिबंधित इंजेक्शन
ऑक्सीटोसिन के बेजा इस्तेमाल से पशुओ के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा
है।पसुओ व् सब्जियो में इसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रतिकूल
असर से ,बढ़ती बीमारियो से लोगो में चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही है।
पशुओ में जारी ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल पशुओ के संबर्धन और स्वास्थ्य
दोनों पर संकट खड़ा कर रहा है।पशुओ में बढ़ता बाँझपन इसके दुष्प्रभाव के
रूप में देखा जा रहा है । बावजूद इसके इस प्रतिबंधित इंजेक्सन की बिक्री
बेखौफ जारी है । वही पशुपालक भी इसके दुष्प्रभाव को जानने के बाद भी,
इसके इस्तेमाल से बाज नहीं आ रहे है।पशुपालकों द्वारा मादा गाय ,भैंसों
का दूध उतारने के लिये इस प्रतिबंधित इंजेक्सन का इस्तेमाल ,पशुओ के
स्वास्थ पर बुरा असर डाल रहा है।पशुचिकित्सकों की मानें तो इस दवा का
इस्तेमाल विशेष परिस्थितियों में प्रसव की विषमता के दौरान किया जाना
चाहिए हालांकि इसकी जरुरत की संभावना कम ही रहती है।क्योंकि यह हार्मोन
जानवर की पीयूष ग्रंथि से स्वतः स्रावित होता है जोकि प्रसव को सुगम बना
देता है । बावजूद इसके पशुपालक इसका इस्तेमाल मादा पशुओं का दूध उतारने
के लिए बेजा इस्तेमाल कर रहे है जो पशुओ के साथ ही मनुष्यों के भी
स्वास्थय पर बुरा असर पड़ रहा है।।इसके इस्तेमाल से गर्भाशय की संकुचन
क्रिया के लगातार बढ़ने से गर्भाशय की कोशिकाएं टूट जाती हैं और मादा पशु
बांझपन का शिकार हो जाता है साथ साथ स्तन में बढ़ते संकुचन के चलते पशुओं
में थनैला रोग की सम्भावना प्रवल हो जाती है।दूसरी तरफ अगली ब्यात के
दौरान मादा पशु के गर्भ में ऑक्सीजन की कमी के साथ गर्भ में पल रहे बच्चे
में रक्त अल्पता की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।साइंस की
मानें तो जिन पशुओं में इस दवा का इस्तेमाल होता है उस पशु का दूध
इस्तेमाल करने वाला इंसान भी तमाम तरह की बीमारियों की सम्भवना से इंकार
नहीं किया जा सकता है।

सब्जी उत्पादक किसान भी कम समय में ,सब्जी व् फलों को बढ़ाने केलिए इसका
इस्तेमाल बहुतायत में कर रहे हैं जो मानव जीवन के स्वास्थ पर घातक तथा
बुरा असर डाल रहा है।