नई दिल्ली: गुरुवार (31 मई) को देश की 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजों से एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिंग वोटिंग मशीन (ईवीएम) विवाद सामने आया। अबकी बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी पार्टियों शिरोमणि अकाली दल और शिवसेना ने ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप लगाए। महाराष्ट्र की पालघर लोकसभा सीट से बीजेपी ने बाजी मारी। यहां से बीजेपी के उम्मीदवार राजेंद्र गावित 44589 वोटों से जीते। गावित की जीत के बाद शिवसेना की तरफ से ईवीएम के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाने की खबरें आने लगी। समाचार चैनलों को मुताबिक शिवसेना के अनिल देसाई ने मीडिया को बताया कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई। पालघर से शिवसेना ने बीजेपी के दिवंगत सांसद चिंतामन वांगा के बेटे श्रीनिवास वांगा को चुनावी मैदान में उतारा था। वहीं जीतने वाले उम्मीदवार कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ने शामिल हुए थे और फायदे में रहे। कांग्रेस ने यहां से दामोदर शिंगडा को मैदान में उतारा था।

पालघर में बीजेपी सांसद चिंतामन वांगा के निधन के बाद खाली हुई सीट पर उपचुनाव लड़े गए। इसके अलावा पंजाब की शाहकोट विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया की जीत के बाद अकाली उम्मीदवार नायब सिंह कोहाड़ ने भी समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए ईवीएम के साथ धांधली के आरोप लगाए। कांग्रेस उम्मीदवार लाडी शेरोवालिया यहां से 38000 वोटों से जीते। यहां के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के रतन सिंह काकड़कलां भी मुख्य लड़ाई में थे। शाहकोट में अकाली विधायक अजीत सिंह कोहाड़ के निधन के बाद खाली हुई थी।

मजे की बात यह है कि 2019 में शिवसेना अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है, लेकिन पालघर के नतीजे उसकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। अब ऐसे में बीजेपी और शिवसेना के बीच रिश्ते को क्या नया रूप मिलेगा, इस बाबत कयासबाजियां जोर पकड़ रही हैं। क्योंकि मौजूदा समय में बीजेपी और शिवसेना के संबंध काफी तल्ख हो चुके हैं और जुबानी जंग भी तेज है।