लखनऊ: देश में संघ लोक सेवा आयोग के तहत आयोजित सिविल सर्विसेज परीक्षा में मेरिट लिस्ट तय करने को लेकर केंद्र के सुझाव पर विरोध शुरू हो गया है. मामले में समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव ने सरकार के उक्त कदम को अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ करार देते हुए निंदा की थी|

सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने मंगलवार को किए एक ट्वीट में लिखा कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अ​भ्यर्थियों के कैडर एवं सेवा आवंटन नियमों में संशोधन करने के केंद्र सरकार के फैसले की वो दृढ़ता से निंदा करता हैं.

बकौल शिवपाल यादव, यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सर्विस की परीक्षा पहले से ही सर्वग्राही है. इसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार द्वारा विस्तृत पैमाने पर समग्र मूल्यांकन किया जाता है. वर्तमान प्रणाली अच्छी तरह से चल रही है और इसमें पक्षधरता की संभावना कम है. लेकिन सरकार के इस फैसले से डर और दबाव में रह रहे एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक वर्ग के मन में पक्षपात होने की आशंका है. मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि पूर्व की व्यवस्था, जिसमें सर्व वर्गों का विश्वास है, उसे बनाए रखें.

बता दें प्रधानमंत्री कार्यालय ने संघ लोक सेवा आयोग को एक पत्र जारी किया है. इसमें यह सुझाव दिया गया है कि मौजूदा सिविल सर्विसेज परीक्षा में कैडर एवं सेवा आवंटन की जो प्रक्रिया है, उसमें बदलाव किया जाए. इसके तहत प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के बाद फाउंडेशन कोर्स के अंकों को भी अभ्यर्थी की मेरिट में शामिल किया जाए. उसके बाद मेरिट के आधार पर कैडर एवं सेवा का आवंटन किया जाए. पत्र में ये भी कहा गया है कि इस प्रक्रिया को इसी सत्र से लागू कर दिया जाए.

बता दें, वर्तमान प्रक्रिया में अभ्यर्थी का चयन प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में मिले अंकों के आधार पर होता है. इसी के अनुसार ही उन्हें कैडर व सेवा का आवंटन किया जाता है. इसके बाद उन्हें फाउंडेशन कोर्स के लिए भेजा जाता है. इसके अलावा पीएमओ ने यूपीएससी से यह भी कहा है कि वह इस संबंध में सर्विस रूल्स को खंगाल लें और देखें अगर कोई सुझाव सामने आता है. ये सुझाव वह पीएमओ को एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराएं, ताकि आगे की कार्रवाई हो सके.