17 से 30 आयु वर्ग के एक चैथाई से अधिक (26 प्रतिशत) भारतीय स्वीकार करते हैं कि देर रात को सताने वाली अपनी भूख को शांत करने के लिए वे अक्सर फ्रिज को टटोलते हैं। ऐसे और भी अनेक दिलचस्प परिणाम उस हल्के-फुल्के सर्वेक्षण में सामने आए हैं, जिसे गोदरेज एप्लायंसेज ने आयोजित किया; यह सर्वे ‘इंडियन रेफ्रिजरेटर बिहेवियर‘ पर आधारित था।

गोदरेज एप्लायंसेज के बिजनैस हैड और ईवीपी श्री कमल नंदी कहते हैं- ‘‘ भारतीय उपभोक्ता अपनी उपभोग की आदतों के साथ सिंक हो रहे हैं। इस सर्वेक्षण ने रोचक नतीजे दिए हैं जिनसे पता चलता है कि विभिन्न आयु वर्ग के भारतीय अपने रेफ्रिजरेटर का कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं और वे क्या उम्मीद करते हैं। फ्रिज में रखी सामग्री कई भारतीयों के दिल के करीब दिखाई देती है। जबकि सैकडों लोग ‘फ्रिज रायडर‘ श्रेणी के अंतर्गत आते है, जो उनके अनुग्रहकारी और आवेगपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाती है। 30 से 40 साल की उम्र के उत्तरदाताओं को काफी हद तक ‘फ्रिज स्पार्टन‘ श्रेणी में रखा जा सकता है, यानी ऐसे लोग जो फ्रिज के मामले में संयमित बर्ताव करते हैं। इसके अलावा, सर्वे के निष्कर्षों ने इस सबसे सर्वव्यापी घरेलू उपकरण से संबंधित अन्य दिलचस्प तथ्य भी प्रकट किए।‘‘

युवा ‘फ्रिज रायडर‘ लोगों का खुलासा करते हुए हिंदूजा हैल्थकेयर सर्जिकल से जुडी मशहूर डायटिशियन सुश्री इंद्रायणी पवार कहती हैं, ‘‘ मौजूदा दौर में युवा पीढी भावुक और आवेगपूर्ण होने के साथ भोजन को लेकर भी बहुत उत्सुक नजर आती है, जो आज के लोगों की एक आम विशेषता है। भूख वास्तव में उनके लिए एक आवेग नहीं है। वे हमेशा खाने के लिए कुछ दिलचस्प चीज तलाशते नजर आते हंै। इसलिए, उनका फ्रिज इस मामले में उनका साथ निभाता है, जहां उनकी पसंद की वो सारी चीजें सहेज कर रखी गई हैं, चाहे वो चॉकलेट हो, पेस्ट्री या नट्स, फलों का रस, स्वादयुक्त योगहर्ट्स, पनीर और आइसक्रीम वगैरह कुछ भी (देर रात के स्नैक्स के लिए)।‘‘
‘फ्रिज अब्सेसिव‘ ऐसे लोग हैं जो अपने रेफ्रिजरेटर को साफ, व्यवस्थित और लगातार ताजा रखते हैं। 30 से 40 वर्ष और 40-60 वर्ष के उत्तरदाताओं में से 60 प्रतिशत उत्तरदाताओं को अपने फ्रिज में स्टॉक की गई हर वस्तु याद है। इनमें से 35 प्रतिशत बेचैनी का अनुभव करते हैं अगर उन्होंने अपने रेफ्रिजरेटर की सामग्री को रोज नहीं बदला है।