सुल्तानपुर। सूबे के सीतापुर में कुत्तों द्वारा कहर बरपाना बन्द नहीं
हुआ इधर सुलतानपुर के लोग भी अवारा कुत्तों के आतंक से परेशान हो उठे
हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिला चिकित्सालय को इन अवारा कुत्तों ने
अपना डेरा बना रखा है । वे अस्पताल के गलियारों या वार्डों में यत्र तत्र
पड़े रहते हैं और मरीजों पर हमला भी कर देते हैं। गुरूवार को दूरदराज से
दवा कराने आये 3 लोगों को जिला अस्पताल में कुत्तों ने काटकर घायल कर
दिया। जिन्हें वहां मौजूद लोगों ने इलाज कराया । देखने वाली बात यह है कि
जिला अस्पताल में कुत्तों के हमले से घायल मरीजो के आने की संख्या तकरीबन
हर रोज 175 की है। यह आंकड़ा केवल जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों की
है। जिले में रोजाना कुत्ते के शिकार घायल मरीजों की बढ़ रही संख्या से
जिला अस्पताल प्रशासन कोई सबक नहीं ले रहा है। जिले में कुत्ता काटने से
घायल मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से रैबीज इंजेक्शन का अकाल पड़ गया है।
कुत्तों के काटने से घायलों को रैबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए सिफारिश
करवानी पड़ रही है। तीन लोगों को आवारा आदमखोर कुत्तो के काटने के बाद भी
अस्पताल प्रशासन को सबक नही ले रहा है। कुत्तों का इंजेक्शन लगा रहे
फार्मासिस्ट ने कहा कि कुत्ते ने काट लिया है तो क्या किया जा सकता है।
ये कुत्ते पालतू तो हैं नहीं। जिला अस्पताल सुल्तानपुर में दर्जनों की
संख्या में आवारा कुत्तों का जवावडा देखने को मिला, लेकिन जिला स्वास्थ्य
विभाग को यह रोज की दिनचर्या होने के बाद भी आदमखोर कुत्तों का झुंड
दिखाई नहीं दे रहा है। इससे लगता है कि स्वास्थ्य विभाग अपने आंखों पर
काला चश्मा पहन रखा है। सवाल यह उठता है कि कही जिला स्वास्थ्य विभाग को
भी आदमखोर कुत्तो का इंतजार तो नही, आखिर क्यों नही विभाग इन आवारा
कुत्तों के लिए कोई व्यवस्था करता है। गौरतलब है कि साल भर पूर्व महिला
वार्ड से एक बच्चे को गायब होने की कहानी तो आपने सुनी होगी। यही नही
मर्चुरी रूम की तरफ बल्कि एक कुत्ता बच्चे को नोचते हुए भी दिखाई पड़ा था।
लेकिन तब भी स्वास्थ्य महकमा क्यो अनजान बना बैठा है। क्या स्वास्थ्य
महकमे और जिला प्रशासन को कही आदमखोर कुत्तो द्वारा किसी के जान लेने का
इंतजार है, या फिर किसी शासनादेश आने का इंतजार तो नही.? आखिर क्यों नही
करता इन आवारा कुत्तों का कुछ इन्तजाम ?

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक बोले-

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ0 योगेंद्र यति ने बताया कि कभी-कभी रैबीज के
इंजेक्शन की कमी पड़ जाती है। यह सच है कि इस समय कुत्ते काटने के मरीजों
की संख्या काफी बढ़ गई है। हम कुत्तों की स्थायी रोकथाम नही कर सकते हैं।
यह कार्य जिला प्रशासन तथा नगरपालिका का है।