नई दिल्ली: कर्नाटक का दंगल दिन पर दिन बेहद दिलचस्प होता जा रहा है. बीजेपी-कांग्रेस एक दूसरे पर आरोपों के गोले दाग रही हैं तो दूसरी ऐसा लग रहा है जैसे बीजेपी ने तीसरी सबसे बड़ी पार्टी जेडी-एस को साध लिया है. जेडी-एस नेता लगातार दावे कर रहे हैं कि उनकी पार्टी किंगमेकर नहीं किंग बनेगी लेकिन पिछले तीन दिनों में जो घटनाक्रम हुए हैं उनसे एक अलग ही तस्वीर सामने आ रही है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया शुरुआत से ही आरोप लगा रहे हैं कि जेडी-एस बीजेपी की बी-टीम है. इन आरोपों को जेडी-एस हमेशा से ही खारिज करती रही है. तीन दिन पहले जेडी-एस और बीजेपी के गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करते हुए जेडी-एस सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा ने कहा था कि यदि उनके बेटे और पार्टी के कर्नाटक प्रमुख एचडी कुमारस्वामी चुनाव के बाद बीजेपी से गठबंधन करते हैं तो वह उनसे रिश्ते तोड़ लेंगे.

इसके अगले ही दिन पीएम मोदी ने उडुपी की रैली में देवगौड़ा को कद्दावर नेता बताते हुए उनके अपमान को लेकर राहुल गांधी की आलोचना भी की. पीएम के इस बयान के बाद कांग्रेस के हमले तेज हो गए. इसके बाद सीएनएन न्यूज 18 से बातचीत में कुमारस्वामी ने यह तो कहा कि उनकी पार्टी किसी की बी या सी टीम नहीं है, उन्होंने चुनाव जीतने के दावे भी किये लेकिन बीजेपी से गठबंधन के सवाल पर उन्होंने न हां कहा और न ही इससे साफ इनकार किया. (पढ़ेंः अब बीजेपी नेताओं के सपने में भी आ रहे हैं राहुल गांधी- कांग्रेस)

हालांकि देवगौड़ा के सम्मान को लेकर सिद्धारमैया ने जब पीएम पर हमला किया तो कुमारस्वामी ट्विटर पर उनसे उलझ गए. कुमारस्वामी ने देवगौड़ा को फ्रस्टेटेड आदमी बताया. वहीं इसे लेकर देर शाम खुद देवगौड़ा ने कहा, 'एक कन्नड़ देश का प्रधानमंत्री बन चुका है. सिद्धारमैया कैसे एक कन्नड़ के सम्मान पर हमला कर सकते हैं. पीएम ने इसी को देखते हुए कहा होगा कि कांग्रेस कन्नड़ व्यक्तियों को कैसा सम्मान देती है.' देवगौड़ा ने तब भी गठबंधन की संभावना से इनकार किया.

अब पीएम की तारीफ का जवाब देते हुए गुरुवार को देवगौड़ा ने कहा, '2014 में चुनाव से पहले मैंने कहा था कि यदि बीजेपी को बहुमत मिलता है तो मैं लोकसभा छोड़ दूंगा. लेकिन नरेंद्र मोदी ने मुझसे कहा कि देश को एक अनुभवी राजनेता की जरूरत है. वह नहीं होते तो मैं लोकसभा छोड़ चुका होता.' (पढ़ेंः क्या देश की मौजूदा राजनीति को बदल देगा कर्नाटक चुनाव)

कर्नाटक के राजनीतिक विशेषज्ञों का दावा है कि बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी कर देवगौड़ा अपने बेटे के बीजेपी से हाथ मिलाने के लिए माहौल तैयार कर रहे हैं.

कन्नड़ के जानेमाने उपन्यासकार और विचारक विवेक शानबाग कहते हैं, "देवगौड़ा बेहद चालाक हैं. ऐसा कहकर वह संकेत दे रहे हैं कि उनके बेटे बीजेपी के साथ जा सकते हैं. पिछली बार जब कुमारस्वामी ने बीजेपी का साथ दिया था तब भी उन्होंने उनसे रिश्ते तोड़ लिये थे. इसमें कुछ नया नहीं है. वह फिर से उनसे रिश्ता तोड़ लेंगे.”

सिद्धारमैया और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शुरू से ही जेडी-एस पर बीजेपी की बी-टीम होने का आरोप लगा रहे हैं. विश्लेषकों का यह भी कहना है कि गौड़ा के इन बयानों से उनको दो फायदे हैं. पहला यह कि इससे मुस्लिम वोटरों को कन्फ्यूज किया जा सकता है और दूसरा यह कि 15 मई के बाद यदि उनकी पार्टी बीजेपी से हाथ मिलाती है तो वह यह कहकर बच जाएंगे कि वे ऐसा नहीं चाहते थे.