नई दिल्ली: एक अध्ययन में सामने आया है कि 2016 के चुनाव में अपर क्लास अमेरिकियों ने डोनाल्ड ट्रंप को सिर्फ इसलिए वोट किया क्योंकि उन्हें लगने लगा था कि बढ़ती जातीय विविधता के चलते यूएस और दुनिया में उनकी हैसियत खतरे में है. अब तक यह माना जा रहा था कि बराक ओबामा के शासन काल में जॉब छूटने की आशंका और अनियमित वेतन की चिंताओं से गुजर रहे श्वेत मजदूरों ने ट्रंप को जिताया था.

प्रसिद्ध जर्नल ‘पीएनएएस’ में छपे एक अध्ययन में कहा गया है कि ट्रंप को वोट देने वाले ज्यादातर वोटर महसूस कर रहे थे कि वे पीछे छूट गए हैं. हालांकि इसके पीछे उनकी वजह फाइनेंशियल समस्या या भविष्य को लेकर उनकी चिंता नहीं थी.

पेनसिल्वेनिया युनिवर्सिटी की प्रोफेसर डायना सी मुट्ज ने कहा, ‘‘सियासी बगावतों और उथलपुथल में अक्सर दबे-कुचले समूह उच्च वर्गों की तरह ही बेहतर व्यवहार करते हैं और अपने बराबरी के अधिकार को जताने के लिए उठ खड़े होते हैं.’’

मुट्ज ने कहा, ‘‘इसे विपरीत 2016 के चुनाव में पहले से प्रभावशाली वर्ग ने अपना प्रभाव बचाए रखने के लिए वोट किया.’’

रिसर्चर्स ने 2012 और 2016 दोनों चुनावों में वोट डालने वाले 1200 अमेरिकी वोटरों का का एक सर्वे किया. सर्वे डेटा एनालिसिस के दौरान उन्होंने पाया कि पारंपरिक रूप से उच्च सामाजिक स्तर के (अपर क्लास) अमेरिकियों को लगा कि अमेरिका में बढ़ती जातीय विविधता और दुनिया में अमेरिका के दबदबे के खात्मे की आशंकओं के चलते अमेरिका और दुनिया में उनकी (अपर क्लास की) हैसियत खतरे में है.

इसके बाद अमेरिका के सामाजिक रूप से प्रभावशाली समूहों ने 2016 में डोनाल्ड ट्रंप को अपना समर्थन दे दिया.