मृत्युंजय दीक्षित

18 मई 2007 को हैदरबाद में स्थित मक्का मस्जिद में एक बम धमाका हुआ था जिसमें नौ लोगों की मौत हुई थी और 58 लोग घायल हो गये थे। इस मामले में 11 साल बाद आये फैसले मेें एनआईए की विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद सहित पंाच अभियुक्तों को बरी कर दिया है। जब यह धमाका हुआ था तब वहां पर जुम्मे की नमाज अदा की जा रही थी तथा भीड़ को नियंत्रित करने के लिये पुलिस ने गोलियां चलाई थीं जिसमें पंाच लोगों की और मौत हो गयी थी।शुरूआत में इस मामले में हरकतुल- जमात- ए इस्लामी पर शक जताया गया था। पर 2010 में अचानक से अभिनव भारत संगठन के स्वामी असीमानंद को गिरफ्तार किया गया और पूरे मामले को पूरी तरह से विपरीत दिशा में मोड़ दिया गया था। स्वामी असीमानंद की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस व वामपंथियों सहित सभी विरोधी दलो व उनके प्रबुद्ध वर्ग ने संघ व भाजपा को बदनाम करने का एक विशेष अभियान चला दिया था लेकिन अब वह खारिज हो चुका है। स्वामी असीमानंद और प्रज्ञा ठाकुर की आड़ में कांग्रेस व अन्य सभी दलों ने एक प्रकार से हिंदू जनमानस के खिलाफ जमकर जहर बोने का अभियान शुरू कर दिया था। वहीं कांग्रेसी व अन्य दल अपनी आदत से अभी भी बाज नहीं आ रहे हैं। तत्कालीन यूपीए सरकार ने सोची समझी साजिश के तहत संघ परिवार पर शाखाओं आदि के माध्यम से आतंकवादियों को ट्रेनिंग देने के गंम्भीर आरोप लगाये थे और इसी खेल की आड़ में संघ पर नये सिरे प्रतिबंधों को लगाने की गुपचुप तैयारी भी कर ली थी। यदि उस समय के तमाम अखबार उठाकर देखंे जाये तो यूपीए सरकार संघ व भाजपा सहित सभी हिंदू संगठनांे को बदनाम करने के लिए कितनी घिनौनी साजिशं रच रहीं थी। इन सभी के पीछे पूर्व गृहमंत्री पी चिंदम्बरम, सुशील कुमार शिंदे, शिवराज पाटिल और सलामान खुर्शीद जैसे लोगो का शातिर दिमाग दिन रात काम कर रहा था। आज जब स्वामी असीमानंद 11 साल की असीम पीड़ा व देशद्रोह की बदनामी की वेदना से बेदाग बरी होकर बाहर आ गये है। तब से इन सभी सेकुलर दलों को एक बार फिर से गहरी वेदना होने लग गयी है।

इस पूरे प्रकरण में एक खास बात यह है कि विशेष एनआईए जज के रवींद्र रेडडी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अभी उनके इस्तीफे के कारणों का साफ पता नहीं चल सका है। लेकिन अब फैसले के बाद तेज राजनीति तथा बयानबाजी हो रही है।

भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद व सभी संगठनों ने एक तरफ से भगवा आतंकवाद की थ्योरी पर कांग्रेस व समस्त विपक्षी दलों से माफी मांगने की मांग की है।वहीं दूसरी ओर सभी सेकुलर दल अभी भी अपनी विकृत मानसिकता के दायरे से बाहर नहीं निकले है। । जब बीजेपी व विहिप जैसे संगठनोे ने अपनी मांग को तोज कर दिया कर दिया तब कांग्रेसी प्रवक्ता ने टी वी चैनलों में आकर बोल दिया कि कांग्रेस ने कभी भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग नहीं किया उसकी दोहरी मानसिकता को उजागर करता है। अदालत के फैसले के बाद सोशल मीडिया में भी खूब टिवटर जंग हो रही है । टिवटर व सोशल मीडिया पप्लेटफार्म पर याकूब मेनन व रोहिंग्या बचाओ मानसिकता वाले लोग काफी तेजी से सक्रिय हो गये जिसकी शुरूआत तथाकथित फिल्म निर्देशक जावेद अख्तार ने की। उनके विवादास्पद टिवट के बाद जंग शुरू हो गयी। जावेद अख्तर ने अपने टिवट में लिखा कि अब एनआईए के पास अंतर घार्मिक शादियों की जांच करने के लिये उपयुक्त समय होगा।
लेकिन इस फैसले के बाद भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक के बाद प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से कांग्रेस के झूठ पर झूठ पर की हवा निकाल दी और अब यह मुददा बीजेपी ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भी पूरी तरह से उठा लिया है और कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है। आज कांग्रेस भगवा आतंकवाद पर पूरी तरह से बेनकाब हो गयी है तथा उसके पास अपने बचाव में कहने के लिए कुछ नहीं रह गया है। हिंदुओं व बीजेपी तथ संघ को बदनाम करने में सबसे आगे रहने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैनें कभी भगवा आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया । मैंने संघी आतंकवाद शब्द का इस्मेमाल किया है । अब उनका कहना हैै कि मेरे शब्दकोश में हिंदुत्व शब्द ही नहीं है इस शब्द का हिंदू धर्म से कोई लेना देना नहीं है। यह दिग्गी राजा की नाटकबाजी व एक प्रकार से अपने आप को फिर से बचाने की गंभीर हरकत है।

पूरे प्रकरण में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने जिस प्रकार से विकीलिक्स के केबिल व अन्स वीडियो आदि का सहारा लेकर कांग्रेस व चिदम्बरम आदि पर हमला बोला है वह काफी आक्रामक है। अब कांग्रेस को इतने सारे सबूतों के बाद देशवासियों खासकर हिंदू जनमानस से उनको पूरे विश्व में बदनाम करने के लिए रची गयी साजिशों की खातिर माफी मांगनी ही चाहिये। अभी जब स्पेक्ट्रम घोटाले पर अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था तब इन्हीं दलों को यही न्यायपालिका अच्छी लगी थी लेकिन अब यही लोग अपनी सेकुलर आदत से मजबूर होकर देष की स्वतंत्र जांच एजेंसी एनआईए को सरकारी तोता बताकर उसकी जांच पर संदेह के बादल खड़े कर रहे हैं। जबकि सबसे अध्किा बार यदि देश जांच एजेंसियों व न्यायपालिका आदि का दुरूपयोग किसी दल ने किया है तो वह कांग्रेस है। बीजेपी को झूठा कहने वाली कांग्रेस व विरोधी दल आज पूरे देश के सामने न्यापालिकाओं के फैसलों से खुद झूठे व साजिशकर्ता साबित हो रहे हैं।

कांग्रेस की ओर से हिंदू या भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करने के दावों पर बीजेनी ने विकीलिक्स के ख्ुालासे के द्वारा पलटवार किया है। विकीलिक्स की एक केबिल का उल्लेख करते हुए पात्रा ने बताया कि अमेरिका के पूर्व राजदूत टिमोथी जे रोएमूर ने अपने विदेश मंत्रालय को लिखे पत्र में राहुल गांधी के बयान का हवाला दिया था जिसमें उन्होंने हिंदू आतंकवाद की बात कही थी। उन्होंने बताया कि टिमोथी के हस्ताक्षर वाले टेंलीग्राम में राहुल से बात का उल्ल्ेाख किया गया था। 3 अगस्त 2009 को भेजे इस टेलीग्राम में रोएमर ने लिखा था हम राहुल गांधी और अन्य सांसदों से बातचीत कर रहे हंै। हम इसके निष्कर्ष को भेज रहे हंै। विकीलिक्स के अनुसार 20 जुलाई 2009 को एक डिनर में राहुल गांधी मौजूद थे । इस दौरान यूएस राजदूत ने राहुल से लश्कर के बारे में पूछा था इस पर उन्होंने कहा कि इसका भारत मंे थोड़ा बहुत सपोर्ट हो सकता है लेकिन देश में हिंदू आतंकवादियों से कहीं ज्यादा बड़ा खतरा है। पात्रा का कहना है कि कांग्रेस को लादेन के पैसे और हाफिज के नेतृत्व में बना लश्कर आपको कम खतरनाक लगता है जबकि निरीह हिंदू आपको अध्किा खतरनाक नजर आते हैं। बीजेपी अब राहुल गांधी पर लश्कर को कवर फायर देने का भी आरोप लगा रही हैं।

वीडियो फुटेज दिखाकर पी चिदम्बरम , दिग्वििजय सुशील कुमार शिंदे, सलमान खुर्शीद से माफी की मांग की गयी हे। इन वीडियोज मंे यह नेता भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग करते दिखलाई पड़ रहे हंै। अत: इन सबूतों के आधार पर माफी मांगनी ही चाहिये । हम सेकुलरवाद का सम्मान करते हैं। लेकिन आप सभी को दुनिया भर में हिंदुओं को बदनाम करने के लिये माफी मांगनी चाहिये।

इससे पूर्व उन्होंने कहा कि आज देश को 2013 का जयपुर अधिवेशन याद आ रहा है। उस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और पीएम मनमोहन सिंह उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में तत्कालीन गहमत्री सुशील कुमार शिंदे ने हिंदू आतंकवाद सैफन टेरर शब्द का इस्तेमाल किया था। 2010 में सबसे पहले पी चिदम्बरम ने भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया था।

एक प्रकार से स्वमी असीमानंद के बरी हो जाने के बाद कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण करने की नीति और हिंदू आतंकवाद के नाम पर संघ व बीजेपी के खिलाफ पूरे देशभर मंे जहर की खेती करने वाली साजिश अब पूरी तरह से बेनकाब होती जा रही है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हिंदुओ को बदनाम करने के लिये एक बेहद गहरी साजिश रची थी जिसका पर्दाफाश हो चुका है। साथ ही यह भी साबित हो रहा है कि गांधी परिवार व कांग्रेस की मानसिकता पूरी तरह से हिंदू विरोधी है। सााि ही अदालत के फैसले पर उनकी प्रतिक्रियाभी मुस्लिम परस्त ही है। कांग्रेस व विरोधी दलांे ने न्यायपालिका व जांच एजेंसियों पर संदेह किया है। इस पूरे वातावरण के लिए कांग्रेस पार्टी ही दोषी है। भगवा आतंकवाद की कहानी रचने वाले लोगो ंपर देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिये साथ ही उन पर नयायपालिका व जाचं एजेंसियों को गुमराह करने का भी एक मुकदमा कांगे्रस पार्टी पर बनता ही है।