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सुल्तानपुर: जल्लाद बने डाक्टरों की कम नहीं हो रही पैसे की भूख

समुचित इलाज व देखरेख न होने से प्रसूता ने तोड़ा दम

सुल्तानपुर । जिन्हें लोग भगवान का दूसरा रूप मानते हैं वही यमराज का रूप धारण कर लिए और पैसे की अपनी बढ़ती भूख के चलते एक परिवार की खुशियां छीन ली । जहां हर्ष का माहौल होना था मातम पसर गया । धरती के भगवान ने एक बार फिर यमराज का रूप धारण कर एक परिवार की खुशियां छीन ली । जहां जिस घर मे खुशियां मनाई जानी थी वहाँ मातम पसर गया है ।

वाकया जिला महिला चिकित्सालय का है। जहां प्रसव पीड़ा के बाद आयी एक प्रसूता ने समुचित इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। इस शर्मनाक हृदयविदारक कहानी के असली खलनायक डॉ केके भट्ट हैं। जिले के कादीपुर तहसील क्षेत्र के देवार गाँव के राहुल पांडे ने दो दिन पहले अपनी गर्भवती पत्नी कृति पांडेय को प्रसव पीड़ा की शुरूआत होने पर भर्ती कराया । प्रसूता कृति पाण्डेय के साथ आई उसकी जेठानी नीलम ने एक हजार रुपए भी डॉ केके भट्ट और सहयोगी स्टाफ को दिया। इसके बावजूद भी पैसे की भूख के चलते भगवान से शैतान बने गायनी स्र्जन डॉ केके भट्ट प्रसूता को देखने नहीं आये और प्रसूता शुक्रवार की सुबह तक दर्द से चिल्लाती रही । कुछ और पैसे लेने के बाद गायनी स्र्जन डॉ केके भट्ट ने ऑपरेशन किया । ऑपरेशन के बाद प्रसूता ने बेटे को जन्म दिया । बेटे के जन्म की सूचना मिलते ही पूरे परिवार में खुशियां छा गई। लेकिन विधाता को कुछ और ही मंजूर था। बेटे के जन्म के कुछ ही देर बाद प्रसूता की तबियत बिगड़ने लगी । परिजनों ने डॉक्टर को जाकर बताया लेकिन संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार चुके चिकित्सक नहीं आए । उधर नवजात शिशु की भी हालत खराब होने लगी । ज्यादा दबाव बनाने पर नवजात शिशु को आइसीयू में ले जाया गया और प्रसूता को रूम शिफ्ट कर दिया गया । इतना होने के बाद भी प्रसूता के इलाज पर ध्यान नहीं दिया गया। पैसे के लिए जल्लाद बने डॉक्टर का ध्यान जब प्रसूता पर जाता तब तक वह इस दुनिया को अलविदा कह चुकी थी । महिला की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा करना शुरू किया तो चिकित्सकों ने पुलिस बुला लिया । परिजन डॉक्टर पर रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग करने लगे।

बोले सीएमओ- मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीवीएन त्रिपाठी ने जांच कर चिकित्सक के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही है। वहीं मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ उर्मिला चैधरी ने कहा कि डॉक्टर की कोई लापरवाही नहीं है। प्रसूता की तबियत पहले से ही खराब थी। बहरहाल सरकारी अस्पताल के चिकित्सको की पैसे कमाने की भूंख के चलते एक और परिवार के घर की खुशियां छिन्न भिन्न हो गयी हैं।

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