सुलतानपुर। जिला चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का बोलबाला होना तो आमबात है । लेकिन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक नियमविरूद्ध तरीके से शासन के निर्देशों के विपरीत कार्यालयी कार्य सम्पन्न करने से बाज नहीं आते हैं।

बताया जाता है जिला चिकित्सालय में जीएनएम की ज्वाइनिंग के सम्बन्ध में शासन से जारी निर्देश के तहत अन्तिम तिथि 31 मार्च 2018 निर्धारित की गयी थी । लेकिन जिला चिकित्सालय में कार्यरत मुख्य चिकित्सा अधीक्षक योगेन्द्र यति के लिए शासन के निर्देश कोई मायने नहीं रखते । वे अन्तिम तिथि से एक सप्ताह तक ज्वाइनिंग की कार्यवाही को लटकाये रहे । शनिवार 07 अप्रैल को करीब 8 जीएनएम को ज्वाइन कराया गया । लेकिन कागजी खानापूरी 31मार्च 2018 के पूर्व की तिथि में की गयी । जो सीएमएस योगेन्द्र यति की मनमानी का परिचायक माना जा रहा है। जब इस सम्बन्ध में सीएमएस से जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने जनता की समस्याओं का हवाला देकर विलम्ब से ज्वाइनिंग कराने की बात कबूल की। वहीं जनता की समस्याओं को देखा जाय तो आयेदिन अस्पताल में अव्यवस्थाएं देखने को मिलती है। वार्डों में भर्ती मरीज रात में चिकित्सीय सहायता लेने के लिए चिकित्साकर्मियों से मदद मांगते हैं लेकिन चिकित्साकर्मी रात में ऊंघते व सोते ही नजर आते हैं। आक्सीजन की भी कमी जिला चिकित्सालय में अक्सर बनी रहती है । बीआरडी मेडिकल कालेज की घटना के बाद भी अस्पताल प्रशासन सबक नहीं ले रहा है । सीएमएस की जानकारी में जिला चिकित्सालय में तैनात चिकित्सक निजी प्रैक्टिस में रत हैं । यही नहीं अनावश्यक रूप से सीटी स्कैन जैसी जांचें करवाने की सलाह देते रहते हैं। मरीजों को प्राइवेट नर्सिंग होमों में इलाज कराने की सलाह भी चिकित्सकों द्वारा दी जाती है।

बोले सीएमएस- मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से जब विलम्ब से जीएनएम की ज्वाइनिंग कराने के सम्बन्ध में बात की गयी तो उनका स्पष्ट कहना था कि इनकी ज्वाइनिंग निर्धारित तिथि में हो गयी थी । किन्तु कार्य की व्यस्तता एवं जनता की समस्याओं के चलते कागजी कोरम पूरा नहीं हो पाया था जो अब पूरा किया गया है ।