**अमन*

सुल्तानपुर। प्रदेश में मदिरा के शौकीनों को सरकार ने एक अप्रैल से आबकारी नीति में बदलाव करते हुए जोर का झटका धीरे से दिया है। हालांकि शराब मंहगी होने पर कभी पियक्कड़ों ने विरोध नहीं किया है । बल्कि पीने के लिए थाली लोटा भले ही बेचते जाते हों। सूबे में एक अप्रैल से नई आबकारी नीति लागू हो गई है। माना जा रहा है कि राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा यह कदम उठाया गया है। वहीं कुछ लोग इसके पीछे यह तर्क देते हैं कि सरकार द्वारा पियक्कड़ों पर लगाम लगाने के लिए नई आबकारी नीति लागू की है। फिलहाल नई आबकारी नीति लागू होने से पियक्कड़ों के लिए बस यही सन्देश है कि ‘‘मंहगी हुई शराब….कि थोड़ी-थोड़ी पिया करो…..!’’

इसके जानकारों का कहना है कि शराब की कीमतों में भारी परिवर्तन होने के अलावा नई नीति के तहत शराब की दुकानों और शराब की बोतलों में बड़े बदलाव दिखाई देंगे। साथ ही शराब की दुकानों के खुलने के समय में भी बदलाव किया गया है। रविवार से शराब की दुकानें दोपहर 12 बजे से खुलेंगी और रात 10 बजे बन्द हो जाएगी। इसके पहले ऑन रिकॉर्ड मयखाने दिन में 10 बजे खुलते थे और रात 11 बजे तक बन्द हो जाया करते थे। नई आबकारी नीति के तहत जो सबसे प्रभावशाली बदलाव किया गया है वह है दूकानों पर बार कोड का होना।, इसके अलावा अवैध शराब की रोकथाम के लिए शराब की बोतलों पर अब होलोग्राम के बजाय बार कोड मार्क होगा। नियम तोड़ने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी । क्षेत्र में कच्ची शराब की बिक्री न होने पाए इसकी मुकम्मल व्यवस्था जिलों में जिला आबकारी अधिकारी करेंगे। नई आबकारी नीति में यह भी तय किया गया है कि जिस जिले में नकली, जहरीली और अवैध स्थानों से बिकने वाली शराब से हुई मौतों का सीधे जिम्मेदार जिला आबकारी अधिकारी होंगे। सभी जिलाधिकारियों और एसपी को भी इस बात के निर्देश दिये गए हैं कि वे आबकारी विभाग और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम बनाकर अवैध शराब के धंधे के खिलाफ कार्यवाही करते हुए इस काले कारोबार के नेटवर्क को ध्वस्त करने की कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। अगर सब कुछ सरकार की मंशा के अनुसार हुआ तो मदिरा के शौकीनों को बड़ा झटका लगेगा ।

ब्लैक में लेकर पी रहे

अपने एक करीबी पियक्कड़ मित्र से जब नये वित्तीय वर्ष में मिलने वाली शराब के दामों में परिवर्तन के सम्बन्ध में पूछा तो उन्होंने कहा कि रेट के बारे में कुछ नहीं जानते लेकिन ब्लैक में लेकर पी रहे हैं।